असम सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें असम समझौते के खंड 6 को लागू करने पर विस्तार से चर्चा की गई.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बिप्लब शर्मा आयोग की 38 सिफारिशों पर विचार किया गया.
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य असम के मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा करना था.
इस बैठक में भूमि अधिकार, भाषा नीति, सांस्कृतिक संरक्षण और प्रशासनिक सुधारों को लेकर बड़े फैसले लिए गए. बाकी बची सिफारिशों पर विचार करने के लिए आगली चर्चा 10 मार्च तक होने की संभावना है.
भूमि अधिकार को लेकर बड़ा फैसला
असम सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए आदिवासी बेल्ट ब्लॉकों की तरह नए राजस्व मंडल (Revenue Circles) बनाने का निर्णय लिया है.
इस निर्णय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य की भूमि केवल असम के मूल निवासियों के हाथों में ही रहे ताकि उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके और उनकी संस्कृति व परंपराओं को संरक्षित किया जा सके.
AASU के प्रमुख सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने इस फैसले को एक बड़ी उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा, “अभी तक केवल आदिवासी बेल्ट और ब्लॉकों की भूमि सुरक्षित थी लेकिन अन्य इलाकों की स्थिति स्पष्ट नहीं थी. बिप्लब शर्मा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर राजस्व मंडल बनाना असम के मूल निवासियों के भूमि अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है.”
असमिया भाषा को किया अनिवार्य
बैठक में असमिया भाषा को लेकर भी अहम फैसला लिया गया. अब असम के ब्रह्मपुत्र घाटी क्षेत्र में सभी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में असमिया भाषा को अनिवार्य किया जाएगा, वहीं बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTC) क्षेत्र में असमिया और बोडो दोनों भाषाएं अनिवार्य होंगी.
यह भी फैसला लिया गया है कि 2026 शैक्षणिक सत्र से असम के इतिहास को 8वीं कक्षा तक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा.
इसके साथ ही 14 अप्रैल 2025 से असम सरकार की सभी आधिकारिक सूचनाएं अंग्रेजी और असमिया दोनों भाषाओं में प्रकाशित की जाएंगी.
राज्य भाषा निदेशालय (Directorate of State Languages) की स्थापना होगी जो असमिया भाषा नीति को लागू करने पर काम करेगी.
असमिया संस्कृति को बढ़ावा
असम सरकार ने असमिया संस्कृति और साहित्य को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए भी कई घोषणाएं कीं हैं –
तेज़पुर विश्वविद्यालय और असम विश्वविद्यालय (सिलचर) में असमिया विभागों का विस्तार किया जाएगा.
असमिया साहित्य में शैक्षणिक गतिविधियों और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए तेज़पुर विश्वविद्यालय में ‘पद्मनाथ गोहैनबरुआ चेयर’ और असम विश्वविद्यालय (सिलचर) में ‘लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ चेयर’ स्थापित की जाएगी.
इसके अलावा सत्र और नामघर जैसे धार्मिक संस्थानों को कानूनी सुरक्षा दी जाएगी. इनकी देखरेख के लिए एक 5 सदस्यीय राज्य बोर्ड गठित करने की बात कही गई है.
सांस्कृतिक विकास के लिए 100 करोड़ रुपये की सहायता
असम सरकार ने राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने के लिए शंकरदेव कला क्षेत्र (Sankardev Kalakshetra) को 100 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया है.
इसके अलावा, असम के सरकारी फिल्म संग्रहालय ‘ज्योति चित्रबन’ के कर्मचारियों को अब राज्य सरकार के वेतन ढांचे में शामिल किया जाएगा.
प्रशासनिक सुधार और रोजगार के अवसर
असम सरकार ने भूमि से जुड़े प्रशासनिक कार्यों को बेहतर करने के लिए 2,000 नई सरकारी नौकरियां के निर्माण का फैसला किया है. इससे नई भूमि नीति को प्रभावी रूप से लागू करने में मदद मिलेगी.
AASU का क्या कहना है?
AASU नेता उत्पल शर्मा ने बताया कि इस बैठक में कुल 52 सिफारिशों में से 38 पर विस्तार से चर्चा हुई और सरकार ने इन्हें लागू करने की दिशा में कदम उठाने की बात कही है.
वहीं, AASU के वरिष्ठ नेता समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने कहा, “असम की भूमि पर असम के मूल निवासियों का ही अधिकार होना चाहिए. उनके संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है.”
यदि इन फैसलों को समय रहते सही तरीके से लागू किया जाए तो ये असम के मूल निवासियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में अहम साबित हो सकते हैं.