झारखंड के लोहरदगा, गमुला और लातेहार के साल जंगल में हम लोग रुगड़ा मशरुम (Rugda Mushroom) की तलाश में निकले थे. लेकिन इस तलाश में हमने 7-8 तरह की मशरुम हासिल कर ली.
रुगड़ा मशरुम एक बेहद ख़ास तरह का मशरुम है जो आदिवासी भोजन (Tribal Food) का अहम हिस्सा है.
लेकिन रुगड़ा मशरुम को तलाश करने की प्रक्रिया बेशक बहुत मेहनत का काम था. फिर भी इस काम में हमें ख़ूब मज़ा आया क्योंकि इस तलाश के बहाने हमें इस जंगल में मिलने वाली तरह तरह की मशरुम के बारे में पता चला.
इसके साथ साथ यहां के आदिवासी जीवन और कुछ स्थानीय शब्दों का ज्ञान भी हुआ.
मसलन रुगड़ा मशरूम, जिसे स्थानीय भाषाओं में ‘पुटू’ या ‘पुटु’ भी कहा जाता है. यह झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के आदिवासी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक खास प्रकार का मशरूम है.
यह मशरूम आदिवासी समुदायों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. रुगड़ा मशरूम मानसून के मौसम में जंगलों में पाया जाता है. इस मशरुम में ऐसी कई खासियतें होती हैं जो इसे अन्य मशरूमों से अलग बनाती हैं.
पोषण मूल्य और स्वास्थ्य लाभ
रुगड़ा मशरूम में प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, और आयरन जैसे महत्वपूर्ण तत्व भी होते हैं.
रुगड़ा हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में मदद करते हैं. इसके अलावा, रुगड़ा मशरूम में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से बचाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं.
स्वाद और पकाने के तरीके
रुगड़ा मशरूम का स्वाद अद्वितीय और इसे कई तरीकों से पकाया जा सकता है. जैसे कि भुजिया, करी, और चटनी. आदिवासी समुदाय इसे पारंपरिक तरीके से पकाते हैं. जिसमें इसे धीरे-धीरे पकाकर इसकी विशेष खुशबू और स्वाद को बरकरार रखा जाता है.
पर्यावरणीय महत्व
रुगड़ा मशरूम जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगता है और इसका पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण स्थान है. यह मशरूम स्थानीय वन्यजीवों के लिए भी खाद्य स्रोत का काम भी करता है.
आर्थिक और सामाजिक महत्व
रुगड़ा मशरूम का आर्थिक महत्व भी है, खासकर आदिवासी समुदायों के लिए. मानसून के मौसम में इसे इकट्ठा करके स्थानीय बाजारों में बेचा जाता है, जिससे इन समुदायों की आय में वृद्धि होती है.
रुगड़ा मशरूम की बढ़ती मांग के कारण यह अब बड़े शहरों के बाजारों में भी मिलने लगा है, जिससे इसका व्यापारिक महत्व बढ़ा है.
आदिवासी समुदाय इसे अपने सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों में भी शामिल करते हैं, जिससे उनकी सांस्कृतिक पहचान और भी मजबूत होती है.
संरक्षण की आवश्यकता
रुगड़ा मशरूम न केवल एक पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ है, बल्कि यह आदिवासी जीवनशैली और संस्कृति का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके संरक्षण और सतत उपयोग के लिए जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस अनमोल खजाने का लाभ उठा सकें।