HomeMain Bhi Bharatकोया आदिवासी ज़मीन और संस्कृति खोने के कगार पर खड़ा है

कोया आदिवासी ज़मीन और संस्कृति खोने के कगार पर खड़ा है

ओडिशा का मलकानगिरी आदिवासी बहुल ज़िला है. यहां कोया आदिवासी समुदाय सबसे बड़ा है. इस समुदाय के कई उप-समूह हैं जिन्हें गुम्बा कोया, कोइतुर कोया, कमार कोया या मुसारा कोया नाम से जाना जाता है. जगंलों में बसे कोया आदिवासी जीने के लिए झूम खेती पर ही निर्भर थे. लेकिन धीरे धीरे यह समुदाय स्थाई खेती की तरफ़ बढ़ा और उसे अपना लिया.

लेकिन अभी भी कोया आदिवासी परंपरागत तरीके से ही खेती करते हैं इसलिे उत्पादन सीमित रहता है. परिवार पालने के लिए कोया खेती के साथ साथ जंगल पर भी निर्भर रहते हैं. खेती और जंगल के अलावा कोया आदिवासी जानवर भी पालते हैं. मलकानगिरी के कालिमेला और पाडिया ब्लॉक के अलावा मोटू पंचायत यहां के कोया आदिवासियों के गढ़ माने जाते हैं.

लेकिन आजकल यहां बसे कोया आदिवासी गांवों में लोग ऐसी चिंता में डूबे हैं जिसका समाधान उन्हें दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है. यह चिंता है उनकी ज़मीन के डूब जाने के ख़तरे से जुड़ी है. यह ख़तरा पोलावरम बांध की उंचाई बढ़ाने के फैसले से पैदा हुआ है.

देखिए यह ख़ास ग्राउंड रिपोर्ट

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