झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले से सटे डोबो गांव में तब तनाव पैदा हो गया, जब स्थानीय विधायक द्वारा खरीदी गई जमीन से 15 आदिवासी परिवारों को बेदखल करने की कोशिश की गई.
आदिवासी परिवारों की हालत देखकर संयुक्त ग्राम सभा मंच, एक सामाजिक संस्था जो आदिवासियों और दूसरे स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करती है, ने रविवार को परिवारों को विस्थापित होने से रोकने के लिए एक बैठक की. बैठक के बाद, संयुक्त ग्राम सभा मंच ने घोषणा की कि संगठन इन 15 आदिवासी परिवारों के लिए लड़ेगा और जल्द ही झारखंड हाई कोर्ट जाएगा.
समस्या तब शुरू हुई जब इचागढ़ विधानसभा क्षेत्र की विधायक सबिता महतो ने दो एकड़ के एक प्लॉट की बाउंड्री बनाने के इरादे से सर्किल ऑफिस से प्लॉट को सीमांकित करवाया.
पिछले हफ्ते शनिवार को भूमि सीमांकन की प्रक्रिया शुरू हुई, तो अधिकारियों ने 15 परिवारों को वहां बने अपने घरों को छोड़ने के लिए कहा. कर्मचारियों के साथ बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी थे, लेकिन ग्रामीणों ने भूमि सीमांकन का विरोध किया और यह प्रक्रिया रोक दी गई.
बाद में पीड़ित आदिवासी और महतो परिवारों ने विधायक सबिता महतो का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया. पुलिस संयुक्त ग्राम सभा मंच के सदस्यों समेत कई प्रदर्शनकारियों को थाने ले गई.
डोबो निवासी सुमित महतो, जो विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं, ने द टेलिग्राफ को बताया कि 1964 के बंदोबस्त रिकॉर्ड के अनुसार जिस प्लॉट नंबर 1239 पर 15 परिवारों ने अपना घर बनाया है, वह गुरुचरण भूमिज का है.
“वही जमीन जेएमएम नेता और पूर्व मंत्री सुधीर महतो द्वारा 2009 में गलत तरीके से खरीदी गई थी और उनकी (सुधीर) मौत के बाद, उनकी विधवा सबिता महतो के नाम पर कर दी गई. और अब चूंकि सुबर्नरेखा पर दोमुहानी पुल के निर्माण के चलते डोबो में जमीन की कीमत कई गुना बढ़ गई है, विधायक गरीब परिवारों को बेदखल करने के लिए तैयार हैं,” सुमित ने बताया.
छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत आदिवासी भूमि गैर-आदिवासियों को नहीं बेची जा सकती.
सब-डिविजनल पुलिस अधिकारी संजय कुमार ने कहा, “कुछ लोग डोबो गांव में ज़मीन के एक प्लॉट पर समस्या पैदा कर रहे हैं. हम इसे सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.”