HomeAdivasi Dailyओडिशा: 572 आदिवासी महिलाओं और लड़कियों के साथ दुष्कर्म

ओडिशा: 572 आदिवासी महिलाओं और लड़कियों के साथ दुष्कर्म

राज्य सरकार द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक श्वेत पत्र के मुताबिक पिछले पांच साल में आदिवासी महिलाओं के साथ रेप के 572 मामले दर्ज हुए हैं.

महिला सुरक्षा को लेकर ओडिशा के एक मंत्री ने बड़ा बयान दिया है. ओडिशा राज्य के अनुसूचित जाति-जनजाति विकास मंत्री नित्यानंद गोंड ने राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी कि पिछले पांच सालों में 572 आदिवासी लड़कियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ है.

दरअसल, विधानसभा में कांग्रेस विधायक तारा प्रसाद बहिनीपति ने सवाल किया, जिसके जवाब में गोंड ने लिखित उत्तर में बताया कि पिछले पांच सालों के दौरान 572 आदिवासी लड़कियों का दुष्कर्म हुआ है.

ये मामले अभी कोर्ट में चल रहे हैं. जिनमें से 32 में सुनवाई पूरी हो चुकी है, जबकि 509 मामलों में चार्जशीट दाखिल किए जा चुके हैं. वहीं 31 मामलों की जांच अभी चल रही है.

राज्य सरकार द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक श्वेत पत्र के मुताबिक, ओडिशा ने 2023 में 2,826 बलात्कार के मामले दर्ज किए थे, जबकि 2022 में 3,184 और 2021 में 3,327 मामले दर्ज किए गए थे.

वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता बिस्वप्रिय कानूनगो ने बलात्कार के मामलों के धीमे निपटारे पर चिंता व्यक्त की.

उन्होंने कहा, “बलात्कार के 572 मामलों में से सिर्फ 32 मामलों का निपटारा किया गया है. सरकार को मामलों की त्वरित सुनवाई और निपटारे के लिए कोई रास्ता निकालने की कोशिश करनी चाहिए. महिलाओं के खिलाफ इस तरह के जघन्य अपराध को कम करने के लिए अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.”

उन्होंने आगे कहा कि नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार को रोकने के लिए आदिवासी आवासीय विद्यालयों में मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, “इस तरह के स्कूलों से पहले भी कई बलात्कार के मामले सामने आए हैं. छात्राओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए ऐसी चीजों की जांच की जानी चाहिए.”

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता रुतुपूर्णा मोहंती ने कहा कि पुलिस जांच भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव से मुक्त होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, “कभी-कभी प्रभावशाली लोग देरी की रणनीति का इस्तेमाल करके अपराधियों को बचाने की कोशिश करते हैं. वे गरीब लोगों को डराते हैं और कभी-कभी सबूत नष्ट कर देते हैं.”

उनका कहना है कई आदिवासी लोग सामाजिक कलंक और अपराधियों की धमकी के डर से बलात्कार के मामलों की रिपोर्ट नहीं करते हैं.

रुतुपूर्णा ने आगे कहा, “बलात्कार पीड़ितों के लिए उचित परामर्श की आवश्यकता है. आरोपियों की देरी की रणनीति को रोकने के लिए इन मामलों में त्वरित सुनवाई की जरूरत है. पुलिस को सबूतों को सुरक्षित रखने के लिए ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि मामले साबित हो सकें.”

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