HomeAdivasi Dailyअसम विधानसभा चुनाव: बीजेपी ने पिछले पांच साल में आदिवासियों के लिए...

असम विधानसभा चुनाव: बीजेपी ने पिछले पांच साल में आदिवासियों के लिए क्या किया, AASAA ने सरकार से पूछे दस सवाल

AASSA के दस सवालों में चाय बागानों में काम करने वाले आदिवासियों के दैनिक वेतन से लेकर रसोई गैस के बढ़ते दामों पर जुड़े सवाल हैं. और इसमें आखिरी सवाल है कि असम के आदिवासी एक बार फिर बीजेपी को वोट क्यों दें.

ऑल आदिवासी स्टूडेंट्स एसोसिएशन ऑफ़ असम (AASAA) ने रविवार को सत्ताधारी बीजेपी से दस सवाल पूछे. इन सवालों में ज्यादातर पिछले चुनाव के “अधूरे” वादों पर थे.

AASAA ने यह सवाल बिश्वनाथ ज़िले में अपनी वार्षिक महासभा में जारी किए. असम के आदिवासी समुदाय, जिनमें टी ट्राइब और एक्स टी ट्राइब शामिल हैं, राज्य की 126 विधानसभा सीटों में से 40 में अहमियत रखते हैं.

AASSA के दस सवालों में चाय बागानों में काम करने वाले आदिवासियों के दैनिक वेतन से लेकर रसोई गैस के बढ़ते दामों पर जुड़े सवाल हैं. और इसमें आखिरी सवाल है कि असम के आदिवासी एक बार फिर बीजेपी को वोट क्यों दें.

इन सवालों से AASAA राज्य के आदिवासी समुदायों की भाजपा सरकार से नाराज़गी को दर्शाना चाहता है. इन मुद्दों में शायद सबसे बड़ा है असम के चाय बागानों में काम करने वाले आदिवासियों की दिहाड़ी.

दिहाड़ी में बढ़ोत्तरी इन आदिवासियों की पुरानी मांग है. हालांकि राज्य सरकार ने पिछले महीने इसे 167 रुपये से बढ़ाकर 217 रुपये कर दिया था, लेकिन यह अभी भी राज्य के मिनिमम वेज से काफ़ी कम है.

All Adivasi Students’ Association of Assam (AASAA) के बीजेपी से दस सवाल

AASAA का कहना है कि सभी दल आदिवासी / टी ट्राइब को वादों से लुभा तो रहे हैं, लेकिन कोई उनकी पहचान और हक़ों से जुड़े सवालों के जवाब नहीं दे पा रहा.

इस चुनाव के लिए उनका नारा साफ़ है: ST स्टेटस नहीं, तो बीजेपी को वोट नहीं. 351 रुपए का भत्ता नहीं, तो बीजेपी को वोट नहीं. भूमि अधिकार नहीं, तो बीजेपी को वोट नहीं.

यह मांगें सिर्फ़ AASAA की नहीं हैं. असम टी ट्राइब्स स्टूडेंट्स एसोसिएशन (ATTSA) ने भी कम दैनिक वेतन के विरोध में 22 मार्च को राज्य भर के चाय बागानों में बंद का ऐलान किया है.

AASAA की तरह ही ATTSA एक दबाव समूह है जो इन समुदायों के मसले लगातार उठाता है, चाहे वो बुनियादी सुविधाओं की बात हो, या इन आदिवासियों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग.

उधर बीजेपी, राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार को चाय बागान मज़दूरों के कल्याण में देरी के लिए ज़िम्मेदार ठहरा रही है. कांग्रेस के पास भी इन आदिवासियों के लिए किए गए काम के तौर पर दिखाने को कुछ नहीं है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments