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तमिलनाडु: आदिवासी विकास विभाग स्कूलों के 70 प्रतिशत बच्चे महामारी के चलते पढ़ाई छोड़ने को मजबूर

महामारी शुरू होने के बाद जो छात्र विभाग द्वारा संचालित हॉस्टल छोड़ गए, उनसे संपर्क में रहने के लिए कोई प्रक्रिया नहीं थी. ना ही स्कूलों के कर्मचारियों और अधिकारियों को यह पता था कि हॉस्टल छोड़ने के बाद अधिकांश छात्रों के साथ क्या हुआ.

COVID-19 महामारी का तमिलनाडु के आदिवासी छात्रों, जो आदि-द्रविडर और आदिवासी कल्याण (ADTW) विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ते हैं, पर सबसे ज़्यादा असर हुआ. दो गैर सरकारी संगठनों द्वारा किए गए एक सर्वे में यह पाया गया है.

सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स एंड डेवलपमेंट (CCRD) और रिसोर्स ऑर्गनाइजेशन फॉर डेवलपमेंट एंड ट्रांसफॉर्मेटिव स्टडीज (ROOTS) द्वारा किए गए अध्ययन में कर्मचारियों के साथ चर्चा के अलावा वेल्लोर, रानीपेट और तिरुवन्नामलई ज़िलों में ADTW द्वारा संचालित 11 स्कूलों का सर्वेक्षण किया गया.

इसमें पाया गया कि महामारी शुरू होने के बाद से ही इन स्कूलों के लगभग 70 प्रतिशत छात्र नियमित रूप से अपनी शिक्षा जारी नहीं रख पाए.

यह भी पाया गया कि न तो ऑनलाइन कक्षाओं के लिए इंटरनेट वाले मोबाइल फोन तक ज़्यादातर छात्रों की पहुंच थी, और न ही सरकार द्वारा संचालित कालवी टीवी के माध्यम से प्रसारित होने वाले शैक्षिक कार्यक्रमों तक.

बेहद महत्वपूर्ण बात यह है कि महामारी शुरू होने के बाद जो छात्र विभाग द्वारा संचालित हॉस्टल छोड़ गए, उनसे संपर्क में रहने के लिए कोई प्रक्रिया नहीं थी. ना ही स्कूलों के कर्मचारियों और अधिकारियों को यह पता था कि हॉस्टल छोड़ने के बाद अधिकांश छात्रों के साथ क्या हुआ.

टीम ने कई स्कूलों में ख़राब बुनियादी ढांचा और छात्रों की सुरक्षा तंत्र में कमी भी पाई. उनकी रिपोर्ट में कहा गया है कि वेल्लोर ज़िले के मेलकावनूर और रानीपेट ज़िले के करई में स्कूलों में बुनियादी ढांचा विशेष रूप से ख़राब था.

विभाग द्वारा संचालित लगभग 1,135 स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की कुल संख्या में 2016-17 और 2019-20 के बीच गिरावट आई है, लेकिन यह गिरावट सिर्फ़ प्राथमिक स्कूलों में देखी गई है. मध्य, उच्च और उच्च माध्यमिक स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों में बढ़ोत्तरी हुई है.

प्राथमिक स्कूलों में दाखिलों में गिरावट की सबसे बड़ी वजहों में ख़राब बुनियादी ढांचा और निजी स्कूलों में बढ़ोत्तरी है. इससे निपटने के लिए सुझाव है कि छात्रों को आकर्षित करने के लिए बुनियादी ढांचे को मज़बूत किया जाना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आदिवासियों के लिए यह स्कूल एक सदी पहले से चल रहे हैं, इसलिए इनको अपडेट किया जाना बेहद ज़रूरी है. सिफारिशों में टूटी-फूटी बिल्डिंगों का पुनर्निर्माण, क्लासरूम के बुनियादी ढांचे में सुधार, इंटरनेट कनेक्शन और स्मार्ट कक्षा सुविधाएं सुनिश्चित करना, स्कूल परिसरों से अतिक्रमण हटाना, और हॉस्टलों में भोजन के लिए स्वीकृत धन में वृद्धि करना शामिल हैं.

एक सुझाव यह भी है कि अनुसूचित जाति और ट्राइबल सब-प्लान के तहत फ़ंड को ADTW विभाग को दिया जाए, और इसके प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित किया जाए. इसके अलावा विशेष शिक्षा अधिकारियों की नियुक्ति पर भी ज़ोर दिया गया है.

स्कूलों की निगरानी के लिए छात्रों और उनके परिवारों की भागीदारी के साथ ग्राम-स्तरीय समितियां भी बनाई जा सकती हैं.

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