गुजरात में आदिवासी समुदाय सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और भर्ती में कोताही के गंभीर संकट से जूझ रहा है.
वहीं आम आदमी पार्टी के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री से तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया है.
गढ़वी ने छोटा उदयपुर में प्राथमिक विद्यालयों की दयनीय स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि स्थिति केवल इस क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है बल्कि गुजरात के पूरे आदिवासी क्षेत्रों तक फैली हुई है.
उन्होंने कहा, “छोटा उदयपुर में प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति बेहद चिंताजनक है. हम आदिवासी समुदाय के बच्चों की सेवा कैसे कर रहे हैं? आदिवासी समुदाय के बच्चों के साथ अन्याय हो रहा है. आदिवासी बच्चों के लिए कोई गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध नहीं है.”
आदिवासी बच्चों के खिलाफ कथित साजिश की ओर ध्यान दिलाते हुए इसुदान गढ़वी ने बताया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोध के परिणामस्वरूप गंभीर परिणाम हुए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आदिवासी बच्चों को शिक्षा तक पहुंच से वंचित किया गया तो वे मजदूरी जैसे काम में ही फंसे रहेंगे जिससे उनकी भविष्य की संभावनाएं बाधित होंगी. आदिवासी समुदाय के सदस्यों के भाजपा सरकार में मंत्री पद पर रहने के बावजूद आदिवासी बच्चों की दुर्दशा जस की तस बनी रही जबकि मंत्रियों ने खुद लाभ उठाया.
गढ़वी ने गुजरात सरकार और शिक्षा मंत्री से अपील की है और उनसे शिक्षकों की तुरंत भर्ती करके और उच्च गुणवता वाले स्कूलों की स्थापना सुनिश्चित करके इस संकट का समाधान करने का आग्रह किया है. उन्होंने गुजरात के लोगों से शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए भाजपा से जवाबदेही की मांग करने का भी आग्रह किया.
उन्होंने आगे कहा, “सरकारी स्कूलों में स्थिति की गंभीरता को कम करके नहीं आंका जा सकता है क्योंकि आदिवासी समुदाय शिक्षा के अवसरों की कमी से जूझ रहे हैं. शिक्षकों की कमी और भर्ती की अनुपस्थिति पहले से ही नाजुक शिक्षा प्रणाली को और खराब कर देती है.”
हाल ही में गुजरात के ही एक IAS अधिकारी ने भी राज्य के आदिवासी इलाकों में शिक्षा और स्कूलों की स्थिति पर सवाल उठाए थे. गांधीनगर में भूविज्ञान और खनन आयुक्त के रूप में कार्यरत आईएएस अधिकारी धवल पटेल ने छोटा उदयपुर जिले में शिक्षा की स्थिति पर आश्चर्य और पीड़ा व्यक्त की.
धवल का कहना है कि आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले के कुछ प्राथमिक विद्यालयों के छात्र एक शब्द तक नहीं पढ़ पाते हैं और वे गणित के आसान सवाल भी हल नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आदिवासियों को ऐसी ही शिक्षा दी जाती रही तो उनकी आने वाली पीढ़ियां मजदूरी ही करती रहेंगी.
इस अहम मुद्दे पर धवल ने शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा है. जिसके बाद राज्य शिक्षा विभाग ने अपने अधिकारियों से इस पर रिपोर्ट मांगी है. इस मामले पर राज्य के शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर ने कहा कि उन्होंने पटेल द्वारा की गई टिप्पणियों के बारे में अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.