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मणिपुर में जारी हिंसा के बीच मुख्यमंत्री बीरेन सिंह आज दे सकते हैं इस्तीफा

सीएम बीरेन सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात के लिए वक्त मांगा है और चर्चा है कि वह आज अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं.

मणिपुर में पिछले 58 दिनों से जारी हिंसा का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष इस समय बीजेपी सरकार पर हमला कर रहा है और मुख्यमंत्री एन. बीरेने सिंह से इस्तीफा मांगा जा रहा है. ऐसे में राज्य में जारी हिंसा और विपक्ष के हमले के बीच आज मुख्यमंत्री बीरेने सिंह के इस्तीफा देने की संभावना है.

राज्य में चल रहे संकट के ताज़ा घटनाक्रम में सीएम बीरेन सिंह आज राज्यपाल से मुलाकात कर अपना इस्तीफा दे सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, बीरेन सिंह आज दोपहर करीब 3 बजे मणिपुर के राज्यपाल अनुसुइया उइके को अपना इस्तीफा सौंप देंगे.

मणिपुर में एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक में छपी न्यूज रिपोर्ट ने आज सीएम बीरेन के इस्तीफे की चर्चा शुरू कर दी, जिसका मुख्य कारण हिंसा रोकने में उनकी कथित विफलता थी.

संगाई एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंह को गुरुवार को नई दिल्ली से कई फोन कॉल आए, जिसमें उन्हें इस्तीफा दे देने या फिर केंद्र हस्तक्षेप करेगा और कार्यभार संभालेगा का विकल्प दिया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि विधानसभा को निलंबित किए जाने की संभावना है.

हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंह के इस्तीफे की संभावना के बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

यह रिपोर्ट राज्यपाल उइके द्वारा नई दिल्ली का दौरा करने और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा अन्य लोगों से अलग-अलग मुलाकात करने और उन्हें मणिपुर की स्थिति और शांति बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराने के दो दिन बाद आई है.

क्यों निशाने पर हैं मुख्यमंत्री

सीएम बीरेन सिंह पर कुकी समुदाय से जुड़े संगठनों ने पक्षपात का आरोप लगाया है. 3 मई से जारी हिंसा में मणिपुर में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. राजधानी इंफाल समेत कई जिलों में हिंसा जारी है और हालात न संभाल पाने को लेकर मुख्यमंत्री सिंह निशाने पर हैं.

सीएम बीरेन सिंह को विपक्षी दलों और आदिवासी संगठनों के साथ-साथ अपनी पार्टी के नेताओं से भी आलोचना का सामना करना पड़ा है. केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री, राज कुमार रंजन सिंह, जो मणिपुर से हैं, उन प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने खुले तौर पर आरोप लगाया कि राज्य में कानून और व्यवस्था विफल हो गई है. हाल ही में इंफाल में उनके आवास को उपद्रवियों द्वारा जला दिए जाने के बाद सिंह ने यह आरोप लगाया.

बीजेपी बहुमत से बनी थी सरकार

2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में 32 सीट जीत कर बीजेपी ने सत्ता में वापसी की थी. वहीं बीजेपी 2017 में कांग्रेस की 28 सीटों की तुलना में सिर्फ 21 सीटें होने के बावजूद दो स्थानीय दलों – एनपीपी और एनपीएफ के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाने में सफल रही थी. हालांकि 2022 में  बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ा और राज्य की सत्ता पाने में कामयाब रही. 

कौन है सीएम बीरेन सिंह

साल 1961 में मणिपुर के लुवांसंगबम ममंग लेइकाई में एक हिंदू परिवार में जन्मे बीरेन सिंह को बचपन से ही फुटबॉल में दिलचस्पी थी. जब वह 18 साल के थे, तब मणिपुर की राजधानी इंफाल में एक मैच के दौरान सीमा सुरक्षा बलों (बीएसएफ) की फुटबॉल टीम में चुन लिए गए. वह राज्य के बाहर खेलने वाले मणिपुर के पहले खिलाड़ी थे. उन्होंने 1992 तक राज्य टीम के लिए खेलना जारी रखा. वह पूर्व फुटबॉलर खिलाड़ी होने के साथ पत्रकारिता से भी जुड़े रहे हैं. 

बीरेन सिंह 2002 में डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी पीपल्स पार्टी में शामिल हुए और हिंगांग से विधानसभा चुनाव जीते. 2003 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने 2007 में पार्टी  के टिकट पर चुनाव लड़ा और  हिंगांग से विधायक बन गए.

2012 में उन्होंने तीसरी बार चुनाव जीता लेकिन मौजूदा सीएम के खिलाफ सत्ता संघर्ष में शामिल थे. इबोबी सिंह को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया था. अक्टूबर 2016 में बीरेन ने एक बार फिर जोखिम लिया और तमाम तरह के अंसतोष जाहिर करते हुए इबोबी सिंह सरकार और कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

अक्टूबर 2016 में ही वो आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल हो गए. 2017 में, हिंगांग से अपनी सीट बरकरार रखी और वे भाजपा के गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री बने  वह मणिपुर में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री हैं.

हाई कोर्ट के एक फैसले से राज्य में बिगड़ा माहौल

दरअसल, मणिपुर हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने पर विचार पर करना चाहिए. ऐसे में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पर्वतीय जिलों में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला.

ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई. इस रैली के दौरान ही आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. और तब से अबतक हर एक बीतते दिन के साथ राज्य में रह-रहकर हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. 

शांति के लिए अब तक क्या-क्या हुआ?

केंद्र सरकार ने मणिपुर में हो रही हिंसा की जांच के लिए 4 जून को एक आयोग का गठन किया था. आयोग की अध्यक्षता गुवाहाटी हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अजय लांबा कर रहे हैं. गृह मंत्रालय के मुताबिक, ये आयोग तीन मई और उसके बाद मणिपुर में हुई हिंसा और दंगों के कारणों की जांच करेगा.

(Image credit: IANS)

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