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मणिपुर में और 6 महीने के लिए बढ़ा AFSPA, इन पुलिस थानों के इलाकों को मिली छूट

AFSPA के तहत, बलों पर ड्यूटी के दौरान लगे आरोपों से जुड़े मामलों में केंद्रीय सरकार की अनुमति के बिना कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती. सशस्त्र बलों के खिलाफ किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए केंद्रीय सरकार से पूर्व अनुमति जरूरी है.

मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) को अगले 6 महीने के लिए बढ़ा दिया.

गृह आयुक्त एन अशोक कुमार ने एक अधिसूचना में कहा कि मणिपुर के राज्यपाल की राय है कि राज्य में उग्रवादी समूहों की हिंसक गतिविधियों को देखते हुए नागरिक प्रशासन के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग करना आवश्यक हो गया है.

इसे देखते हुए AFSPA को मंगलवार से 6 महीने के लिए बढ़ाया गया है.

अधिसूचना के मुताबिक, इम्फाल, बिष्णुपुर, जिरीबाम और लाम्फेल सहित 19 पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र को छोड़कर पूरे मणिपुर को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुए AFSPA लागू किया गया है.

अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘राज्य में मौजूदा कानून एवं व्यवस्था की स्थिति का विश्लेषण करने के बाद राज्य सरकार की राय है कि जमीनी स्तर पर विस्तृत आकलन करना उचित नहीं है, क्योंकि सुरक्षा एजेंसियां ​​कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में व्यस्त हैं.’’

अधिसूचना में बताया गया है कि अशांत क्षेत्र घोषित करने का मुद्दा बेहद संवेदनशील है और अगर उचित निर्णय नहीं लिया गया तो यह आलोचना और प्रतिरोध का कारण बन सकता है.

अधिसूचना के मुताबिक, “मणिपुर के राज्यपाल 19 थाना क्षेत्रों में आने वाले इलाकों को छोड़कर पूरे मणिपुर को एक अक्टूबर से अगले छह महीने की अवधि के लिए अशांत क्षेत्र घोषित करने की मंजूरी देते हैं.”

जिन थाना क्षेत्रों में अफस्पा नहीं लगाया गया है, उनमें इंफाल, लाम्फेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लामसांग, पटसोई, वांगोई, पोरोमपत, हेइंगंग, लामलाई, इरिबंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नाम्बोल, मोइरंग, काकचिंग और जिरीबाम शामिल हैं. जिन क्षेत्रों को अफस्पा के दायरे से बाहर रखा गया है, वे बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के हैं.

अफस्पा, जो 1980 के दशक की शुरुआत से मणिपुर में प्रभावी है, औपनिवेशिक काल के अध्यादेश पर आधारित है. यह “अशांत क्षेत्रों” में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है.

यह अधिनियम बलों को व्यापक अधिकार देने के कारण कड़ी आलोचना का सामना करता रहा है. AFSPA के तहत, बलों पर ड्यूटी के दौरान लगे आरोपों से जुड़े मामलों में केंद्रीय सरकार की अनुमति के बिना कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती. सशस्त्र बलों के खिलाफ किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए केंद्रीय सरकार से पूर्व अनुमति  जरूरी है.

AFSPA को अप्रैल 2022 में इंफाल नगर निगम क्षेत्र से हटाया गया था, छह जिलों में 15 पुलिस थानों के क्षेत्रों से और अप्रैल 2023 में चार पुलिस थानों से इसे रद्द किया गया.

AFSPA के विरोध में मणिपुर में काफी बार आंदोलन भी हो चुका है.

(PTI file image)

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