HomeAdivasi Dailyकेरल में मानव-हाथी संघर्ष की भेंट चढ़ी एक और महिला

केरल में मानव-हाथी संघर्ष की भेंट चढ़ी एक और महिला

केरल में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. वन मंत्री ए.के. ससींद्रन ने हाल ही में विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में बताया कि पिछले आठ वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण 909 लोगों की मौत हो चुकी है.

केरल के मलप्पुरम जिले के नीलांबुर में बुधवार को जंगली हाथी के हमले से एक 52 वर्षीय आदिवासी महिला की मौत हो गई.

मृतका का नाम सरोजिनी उर्फ नेली बताया गया है. सरोजिनी उचकुलम के कट्टुनायकन जनजातीय गांव की रहने वाली थीं. उनका परिवार जंगल की सीमा पर रहता है.

सरोजिनी अपने पड़ोस की तीन अन्य महिलाओं के साथ जंगल के पास संसाधन इकट्ठा करने और बकरियों को चराने गई थीं. वहां हाथियों के झुंड़ को देखकर वे चारों इधर-उधर दौड़ने लगी लेकिन सरोजिनी अचानक गिर गई और हथिनी के हमले में मारी गई.

उनकी पड़ोसी अम्मिनी ने बताया, “हम चारों ने जंगली हाथियों का झुंड देखा, जिसमें एक नर हाथी, एक मादा हाथी और उनके बच्चे शामिल थे. अचानक नर हाथी हमारी ओर दौड़ा. हम चारों अलग-अलग दिशाओं में भाग गए लेकिन सरोजिनी हाथियों के झुंड के सामने पड़ गईं और नर हाथी ने उस पर हमला कर दिया. हाथियों के जाने के बाद हमने देखा कि सरोजिनी मौके पर ही मृत पड़ी थीं.”

मृतक महिला को पहले नीलांबुर ज़िला अस्पताल ले जाया गया लेकिन ग्रामीणों ने पोस्टमार्टम के लिए शव देने से इनकार कर दिया.

उन्होंने जंगल की सीमा पर सुरक्षा दीवार बनाने और खाई खोदने की मांग की.

प्रशासन ने आश्वासन दिया कि इन मांगों को जल्द पूरा किया जाएगा. इसके बाद शव को मंजेरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया.

जनवरी में दूसरा हाथी हमला

यह इस महीने का दूसरा मामला है जब जंगली हाथी के हमले में किसी की जान गई है. इससे पहले 4 जनवरी को चोलनायकन जनजाति की 35 वर्षीय मणि की करुलाई में जंगली हाथी के हमले में मौत हो गई थी. मणि के साथ कर्थिक और कुट्टीवीरन नामक दो अन्य लोग भी थे लेकिन वे बच निकलने में सफल रहे जबकि मणि नहीं बच पाई.

मणि को सिर में गंभीर चोट लगी थी. उन्हें पहले चेरुपुझा अस्पताल और फिर मलप्पुरम ज़िला अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी.

मणि की मौत के बाद स्थानीय लोगों ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया और जिला वन अधिकारी (DFO) कार्यालय तक मार्च भी निकाला था.

बीते दिनों के मानव-हाथी संघर्ष के मामले

29 दिसंबर – इडुक्की जिले के मुल्लारिंगाडु में 22 वर्षीय अमर इलाही हाथी के हमले में मारे गए. उनके पड़ोसी बीएम मंसूर गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

16 दिसंबर – एर्नाकुलम और इडुक्की जिलों की सीमा पर कुट्टमपुझा में 45 वर्षीय एल्धोस की हाथी के हमले में मौत हो गई थी.

14 दिसंबर – कोथमंगलम में एक जंगली हाथी द्वारा गिराए गए खजूर के पेड़ के नीचे आने से 21 वर्षीय सी एन मैरी की मौत हो गई.

10 नवंबर – तमिलनाडु सीमा के पास थ्रिसुर जिले के चंद्रन (62) पर एक हाथी ने हमला कर दिया था. इलाज के दौरान 17 दिसंबर को उनकी मौत हो गई.

पिछले आठ सालों में 909 मौतें

केरल में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. वन मंत्री ए.के. ससींद्रन ने हाल ही में विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में बताया कि पिछले आठ वर्षों में मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण 909 लोगों की मौत हो चुकी है.

रिपोर्ट के अनुसार, वायनाड, इडुक्की, कन्नूर, थ्रिसुर और एर्नाकुलम जिलों में इस तरह की घटनाएं सबसे ज्यादा हो रही हैं.

प्रदर्शन और राजनैतिक दबाव

सरोजिनी की मौत के बाद सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) ने गुरुवार को नीलांबुर में सुबह से शाम तक हड़ताल का आह्वान किया.

एसडीपीआई नीलांबुर के अध्यक्ष एन मुजीब ने कहा, “मनुष्यों की रक्षा जंगली जानवरों से होनी चाहिए. यह हड़ताल प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ है और हम जनता से सहयोग की अपील करते हैं.”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments