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आदिवासियों की तेलंगाना में ‘प्रजा गर्जना’, कहा आदिवासी और किसान अधिकारों, जीविका और सम्मान के लिए लड़ रहा है

आदिवासियों ने 25 जनवरी को ‘प्रजा गर्जना’ नाम से एक बड़ी रैली की. इस रैली का आयोजन फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट को लागू किए जाने की माँग के लिए किया गया था. सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य, और पूर्व राज्य सभा सांसद बृंदा करात ने इस रैली को संबोधित किया.

तेलंगाना के भद्रादी कोठागुडम ज़िले में आदिवासियों ने 25 जनवरी को ‘प्रजा गर्जना’ नाम से एक बड़ी रैली की. इस रैली का आयोजन फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट को लागू किए जाने की माँग के लिए किया गया था. सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व राज्य सभा सांसद बृंदा करात ने इस रैली को संबोधित किया. 

बृंदा करात ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन और आदिवासियों के आंदोलन में एक समानता है. उन्होंने कहा कि आदिवासी और किसान देश में अपने अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2006 का वनाधिकार क़ानून जंगल पर आदिवासियों के अधिकार को मान्यता देता है, और जब आदिवासी इस क़ानून को लागू करवाने के लिए लड़ता है तो वो अपने अधिकार, जीविका और सम्मान के लिए लड़ता है. 

कोठागुडम से मिली रिपोर्ट्स के अनुसार प्रजा गर्जना रैली में हिस्सा लेने के लिए हज़ारों की संख्या में आदिवासी पहुँचे. बताया गया है कि पूरे शहर की सड़कें आदिवासियों से पट गई थीं. आदिवासी ‘जय किसान संघर्ष’ और ‘वन क़ानून लागू करो’ के नारे लगाते हुए रैली में पहुँचे. 

तेलंगाना में फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट के तहत कम से कम 2 लाख आदिवासियों ने ज़मीन के पट्टों के लिए आवेदन किया है. लेकिन अभी तक आधे से भी कम आदिवासियों के दावा पत्रों को स्वीकार किया गया है. इस रैली में बोलने वाले नेताओं ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि वो कॉरपोरेट को फ़ायदा पहुँचाने के लिए आदिवासियों का हक़ मार रही है. 

इस रैली में तेलंगाना सरकार के हरित हरम (Haritha Haram) कार्यक्रम पर भी सवाल उठाए गए. इस कार्यक्रम के तहत तेलंगाना सरकार की योजना 230 करोड़ नए पेड़ लगाने की है. इस कार्यक्रम पर कम से कम 3000 करोड़ रुपए ख़र्च किए जाएँगे. इस योजना पर आदिवासी नेताओं ने गंभीर सवाल उठाए हैं.

आदिवासी नेताओं का कहना है कि सरकार इसी बहाने आदिवासियों की ज़मीन हथियाने की कोशिश कर रही है, और जंगल पर आदिवासियों के परंपरागत और क़ानूनी अधिकारों को छीन लेना चाहती है.

इस रैली में आदिवासी नेताओं ने राज्य के मुख्यमंत्री पर वादा खिलाफ़ी का आरोप भी लगाया. इन नेताओं ने कहा कि चुनाव से पहले उन्होंने वादा किया था कि वो पोडू किसानों की समस्याओं का निवारण कर देंगे, लेकिन चुनाव के बाद वो अपना वादा भूल गए. 

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