छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने कहा है कि कोविड 19 महामारी के दौरान जंगल से मिलने वाले उत्पादों की ख़रीद से आदिवासी समुदाय को काफ़ी मदद मिली है.
उन्होंने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने महामारी के दौरान भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जंगल से मिलने वाले उत्पादों को आदिवासियों से ख़रीदने की प्रक्रिया को जारी रखा है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अर्जुन मुंडा को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य सरकार की इस योजना से आदिवासियों को महामारी के दौरान काफ़ी लाभ मिला है. उन्होंने कहा है कि महामारी के दौरान आदिवासी आबादी को रोज़गार देने में वन उत्पादों की ख़रीद ने अहम भूमिका निभाई है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा से आग्रह किया है कि केन्द्र सरकार तुरंत 234.18 करोड़ रूपये आदिवासियों से वन उत्पाद ख़रीदने के लिए जारी करे. मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार को बताया है कि लॉक डाउन और महामारी के दौरान जंगल से मिलने वाले उत्पादों की ख़रीद ने आदिवासी आबादी की आय को बरक़रार रखने का काम किया है.
मुख्यमंत्री बघेल ने केन्द्र सरकार को याद दिलाया है कि राज्य का क़रीब 44 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र जंगल से ढका है और राज्य की क़रीब 31 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी आदिवासी है.
छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत 38 क़िस्म के जंगली उत्पाद आदिवासियों से ख़रीदे जाते हैं. इसके अलावा राज्य सरकार 14 वन उत्पाद एक तय और फिक्सड रेट पर ख़रीद रही है.
मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार को बताया है कि साल 2020-21 में छत्तीसगढ़ में सरकार ने कम से कम 115 करोड़ रूपये के जंगल से मिलने वाले उत्पाद आदिवासियों से ख़रीदे हैं. उन्होंने केन्द्र सरकार को लिखे पत्र में दावा किया है कि देश में जंगल से मिलने वाले उत्पादों को ख़रीदने में छत्तीसगढ़ नंबर वन राज्य है.
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में केंद्र सरकार को सूचित करते हुए यह जानकारी भी दी है कि राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत 139 केन्द्र स्थापित किए हैं. इसके अलावा राज्य सरकार ने ‘छत्तीसगढ़ हर्बल’ ब्रांड के तहत 120 हर्बल प्रॉडक्ट की बिक्री की जा रही है.
भूपेश बघेल ने अपने पत्र में केन्द्र सरकार को कहा है कि राज्य सरकार को 100 करोड़ रूपये इसलिए दिए जाने चाहिएँ जिससे कि राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर आदिवासियों से जंगल से मिलने वाले उत्पादों की ख़रीद को जारी रखा जा सके.