झारखंड में चल रहे भाषा विवाद के बीच एक आदिवासी संगठन ने पीवीटीजी माल-पहाड़िया जनजाति की भाषा मौंडो को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने की मांग की है.
पहाड़िया भूमि मुक्ति सेना ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि राज्य में अपना डोमिसाइल तय करने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में मौंडो को शामिल किया जाए.
आदिवासी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरिंजल सिंह पहाड़िया ने पीटीआई को बताया, “माल-पहाड़िया झारखंड के स्थानीय निवासी हैं, जो ज्यादातर संथाल परगना में रहते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार उनकी संख्या लगभग 1.35 लाख हैं. मौंडो माल-पहाड़ियों की मातृ भाषा है और इसे भाषा सूची में शामिल न करने से उनके अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है. पंडित अनूप कुमार बाजपेयी, जो इस इलाके की जनजातियों के विशेषज्ञ हैं और मल-पहाड़ियों पर ‘पूर्वी भारत के पहाड़िया’ किताब के लेखक हैं, के अनुसार यह आदिवासी समुदाय मुख्य रूप से पहाड़ियों और ढलानों पर निवास करती है और अब कृषि और लघु वन उत्पादों पर निर्भर है.”
संगठन का दावा है कि हालांकि सरकार ने इन आदिवासियों के लिए कई विकास योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन पहाड़िया समाज की आर्थिक स्थिति अभी भी दयनीय है.

विरोध के बीच, झारखंड सरकार ने पिछले हफ्ते धनबाद और बोकारो जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से दोनों भाषाओं को हटा दिया था.