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तेलंगाना के आदिवासी इलाकों में वन विभाग के मनमाने फैसलों पर रोक की मांग

आदिवासी इलाकों में वन विभाग की मनमानी पर भड़के विधायक, ग्राम सभाओं की अनदेखी और GO 49 पर जताई नाराज़गी. क्या सरकार आदिवासियों की आवाज़ सुनेगी? पढ़िए पूरी रिपोर्ट

तेलंगाना के आदिवासी विधायकों ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक में आदिवासियों से जुड़ी एक गंभीर चिंता ज़ाहिर की है.  

यह बैठक आदिवासी कल्याण मंत्री दनसारी अनसूया उर्फ़ सीतक्का की अध्यक्षता में संक्षेमा भवन, मासाब टैंक में आयोजित की गई थी.

आदिवासी विधायकों ने इस बात पर नाराज़गी जताई है कि वन विभाग के अधिकारी आदिवासी इलाकों में बिना ग्राम सभा की अनुमति के फैसले ले रहे हैं.

आदिवासी विधायकों का कहना है कि वन संरक्षण के नाम पर ज़मीन अधिग्रहण जैसे काम भी बिना ग्राम सभा की सहमति के हो रहे हैं.

उन्होंने नाराज़गी जताते हुए कहा कि इससे न सिर्फ पेसा कानून 1996 (Panchayat Extension to Scheduled Areas Act, 1996) का उल्लंघन हो रहा है बल्कि गांव वालों के जीवन पर भी बुरा असर पड़ रहा है.

सरकारी आदेश नंबर  49 से भी नाराज़ हैं विधायक

बैठक में एक और बड़ा मुद्दा सरकारी आदेश नंबर 49 (Government Order 49) का रहा. इस आदेश के तहत महाराष्ट्र के अंधारी-ताडोबा टाइगर रिज़र्व और तेलंगाना के कवाल के बीच के क्षेत्र को कोमुरम भीम संरक्षण क्षेत्र घोषित किया गया है.

विधायकों का मानना है कि इससे आदिवासियों की जंगल संसाधनों तक पहुंच सीमित हो जाएगी और इसका सीधा असर उनकी परंपरागत आजीविका और जीवनशैली पर पड़ेगा. इसलिए उन्होंने सरकार से इस आदेश को तुरंत रद्द करने की मांग की है.

आदिवासी कल्याण मंत्री दनसारी अनसूया उर्फ़ सीतक्का की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में TRICOR के चेयरमैन बेल्लैय्या नाइक, गिरिजन कोऑपरेटिव चेयरमैन कोटनाका तिरुपति समेत आदिवासी समुदायों से जुड़े विधायकों, विभागीय अधिकारियों ने भाग लिया.

स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के नए रास्ते

सीतक्का ने जानकारी दी कि सरकार जल्द ही Government Order No. 3) को फिर से लागू करेगी. इससे आदिवासी इलाकों में स्थानीय युवाओं को नौकरियों में प्राथमिकता मिलेगी.

साथ ही, महबूबाबाद और आसिफाबाद में रोज़गार मेले आयोजित किए जाएंगे.

मंत्री ने बताया कि इंदिरा सौर गिरी जल विकासम योजना के ज़रिए ज्वार जैसी पारंपरिक फसलों की खेती को बढ़ावा मिलेगा.

उत्नूर जैसे पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों के लिए ₹12 करोड़ की राशि अलग से देने की बात भी बैठक में सामने आई.

भद्राद्री कोठागुडेम में एक आदिवासी संग्रहालय की शुरुआत के बाद, अब अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे म्यूज़ियम खोलने की योजना पर चर्चा की गई.

आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ट्राइबल म्यूज़ियम्स बनाए जाएंगे.

बैठक के दौरान मसाब टैंक स्थित संक्षेमा भवन में एक आदिवासी कैफेटेरिया का उद्घाटन भी हुआ, जहाँ वन उपज और पारंपरिक रेसिपीज़ जैसे 20 से ज्यादा आदिवासी व्यंजन परोसे गए.

सीतक्का ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ओवरसीज़ स्कॉलरशिप में अब आदिवासी छात्रों के लिए 40-50% आरक्षण देने की योजना पर भी सरकार काम कर रही है, जिससे आदिवासी छात्रों को उच्च शिक्षा में मदद मिलेगी.

एक तरफ जहां विधायक वन अधिकारियों के मनमाने फैसलों पर रोक चाहते हैं वहीं दूसरी तरफ इसी बैठक में स्थानीय आदिवासियों के लिए लुभावनी बातें करके अहम मुद्दों से ध्यान भटकाने की भी कोशिश नज़र आती है.

सरकार को इन आदिवासियों को प्रलोभन देने की जगह, इनकी ज़मीन को सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए.

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