महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के राजुरा में स्थित इन्फैंट जीसस इंग्लिश स्कूल की आदिवासी छात्राओं के साथ हुए यौन शोषण के मामले को करीब छह साल हो चुके हैं लेकिन अब तक पीड़ित बच्चियों और उनके परिवारों को न्याय नहीं मिल पाया है.
यह मामला 7 नवंबर 2019 को सामने आया था जब स्कूल के गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली 18 आदिवासी छात्राओं ने आरोप लगाया कि हॉस्टल के कुछ स्टाफ उन्हें खाने में नशे की दवा देकर उनके साथ शारीरिक शोषण करते थे.
सरकारी योजना के तहत हुआ था दाखिला
ये सभी छात्राएं सरकार की एकीकृत आदिवासी विकास योजना (Integrated Tribal Development Programme) के तहत पढ़ाई करने यहां आई थीं.
इस योजना का उद्देश्य था कि दूरदराज़ के क्षेत्रों से आने वाले मेधावी आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले. लेकिन इन बच्चियों के साथ जो हुआ, उसने इस योजना की गरिमा और सरकार की ज़िम्मेदारी दोनों पर सवाल खड़े कर दिए.
कानूनी कार्रवाई और वर्तमान स्थिति
घटना के सामने आने के बाद पुलिस ने कई आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) के तहत केस दर्ज किया था.
शुरुआती जांच में मामला गंभीर होने के कारण जन आक्रोश भी देखने को मिला लेकिन धीरे-धीरे यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
पीड़ित परिवारों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन और अन्य आरोपी अब ज़मानत पर बाहर हैं और खुलेआम घूम रहे हैं.
पीड़ित बच्चियों को न तो न्याय मिला है और न ही कोई मानसिक या आर्थिक सहायता.
प्रशासन और न्यायपालिका दोनों असंवेदनशील
आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता रमेश वेत्ती ने इस गंभीर मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रशासन की उदासीनता पर नाराजगी जताई.
उन्होंने कहा, “इन बच्चियों को शिक्षा देने के बहाने स्कूल भेजा गया था लेकिन वहां उनका शोषण हुआ. छह साल बीतने के बाद भी किसी को सज़ा नहीं मिली है. यह साफ दिखाता है कि सिस्टम ने इन बच्चियों को इनके हाल पर छोड़ दिया है.”
उन्होंने यह भी बताया कि परिवारों ने बार-बार ज़िला प्रशासन को ज्ञापन सौंपे और अधिकारियों से मुलाकात की. लेकिन इसके बावजूद उन्हें न तो कोई जवाब मिला और न ही न्याय. न तो केस की सुनवाई में तेजी आई और न ही पीड़ितों को किसी तरह का सहयोग मिला.
भूख हड़ताल और चेतावनी
अब पीड़ित बच्चियों के माता-पिता ने 16 मई से ज़िला कलेक्टर कार्यालय के सामने क्रमिक भूख हड़ताल शुरू करने का ऐलान किया है.
उनका कहना है कि यदि अब भी उनकी आवाज़ नहीं सुनी गई तो वे आत्मदाह जैसे कदम उठाने को मजबूर होंगे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर राज्य सरकार और न्यायपालिका से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि पीड़ित बच्चियों को न्याय मिल सके और दोषियों को सज़ा दी जा सके.
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