दादरा और नगर हवेली से सात बार के आदिवासी लोकसभा सांसद मोहन डेलकर की मौत को लेकर गहमागहमी तेज़ हो गई है. डेलकर के परिवार ने उनकी मौत के लिए ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
डेलकर के बेटे, अभिनव डेलकर ने एक वीडियो बयान में कहा, “मेरे पिता की मौत के लिए कई लोग ज़िम्मेदार हैं, और मैं महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस से अनुरोध करता हूं कि दोषियों को सज़ा दें.” उन्होंने लोगों से शांत रहने की भी अपील की.
दरअसल, मोहन डेलकर की मौत के बाद से ही सोशल मीडिया पर #JusticeForMohanDelkar ट्रेंड कर रहा है. नेताओं से लेकर आम लोगों तक कई ने इस हैशटैग का इस्तेमाल कर मोहन डेलकर के लिए इसाफ़ मांगा है.
डेलकर द्वारा लोकसभा में दिया गया एक भाषण भी कई लोगों ने ट्वीट किया. इस भाषण में वह आने वाले सत्र में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की धमकी देते हैं.
डेलकर ने ख़ुद अपने ट्विटर हैंडल पर 5 जुलाई, 2020 को 24 मिनट का एक वीडिया डाला था. उस वीडियो में डेलकर ने दावा किया है कि केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली का स्थानीय प्रशासन उन्हें तंग कर रहा है.
वो यह भी कहते हैं कि इस्तीफ़ा देने से पहले वे सार्वजनिक करेंगे कि उन्हें पद छोड़ने के लिए किस तरह से मजबूर किया गया.
डेलकर यह भी कहते हैं कि उनके पास दस्तावेज़ हैं और वो उन सभी आधिकारियों के नाम सार्वजनिक करेंगे जिन्होंने उन्हें इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया.
सोमवार की सुबह सांसद मोहन डेलकर ने मुंबई के मरीन ड्राइव पर स्थित एक होटल में फांसी लटकारकर आत्महत्या की थी. पोस्टमार्टम में भी यह पुष्टि हो गई है कि मौत फांसी से हुई है.
डेलकर के बॉडीगार्ड ने एक अखबार को बताया है कि वो पिछले कुछ दिनों से काफी तनाव में थे.
बॉडीगार्ड और ड्राइवर दोनों ने कहा कि डेलकर अपनी मौत से पहले देर रात तक अपने कमरे में कुछ लिख रहे थे. ऐसा माना जा रहा है कि डेलकर उस रात अपना सुसाइड नोट ही लिख रहे थे, जो पुलिस को उनकी मौत के बाद उनके कमरे से मिला है.
15 पेज का यह सुसाइड नोट गुजराती में है, और ख़बरों के मुताबिक़ इसमें डेलकर ने DNH के स्थानीय प्रशासन द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न के बारे में लिखा है. यह नोट डेलकर के आधिकारिक लेटरहेड पर लिखा गया है.
जांच अधिकारियों ने यह भी खुलासा किया है कि डेलकर ने इस नोट में कई लोगों का ज़िक्र किया है जिनमें एक वरिष्ठ राजनेता और ब्यूरोक्रैट शामिल हैं.
पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि नोट में लिखावट डेलकर की ही है, और इसके लिए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है.
58 साल के मोहन डेलकर ने 2019 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था और सातवीं बार जीते थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ट्रेड यूनियन नेता के रूप में की थी. वो आदिवासी अधिकारों के लिए हमेशा लड़ते रहे.
1989 से 2009 तक उन्होंने DNH से लगातार छह चुनाव जीते. 1989, 1991 और 1996 के चुनाव कांग्रेस टिकट पर जीते, और 1998 में उन्होंने बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीता. इसके बाद वो दोबार कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन 2009 और 2014 के आम चुनाव हार गए.