HomeAdivasi Dailyआदिवासी म्यूज़ियम: आदिवासी नायकों के स्मारक या फिर सभ्यता के ख़त्म होने...

आदिवासी म्यूज़ियम: आदिवासी नायकों के स्मारक या फिर सभ्यता के ख़त्म होने का ऐलान

एक तरफ़ जहां आदिवासियों की उपलब्धियों का प्रचार करना ज़रूरी है, वहीं दूसरी तरफ़ इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि अतीत की बात करते-करते कहीं हम उनके वर्तमान को न भूल जाएं.

कोझीकोड स्थित केरल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च, ट्रेनिंग और डेवलपमेंट स्टडीज़ ऑफ शेड्यूल्ड कास्ट्स एंड शेड्यूल्ड ट्राइब्स (KIRTADS) में आदिवासी समुदायों के स्वतंत्रता सेनानियों पर एक म्यूज़ियम बनाया जा रहा है.

केंद्रीय योजना के तहत बनाए जा रहे इस म्यूज़ियम का मक़सद आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत पर प्रकाश डालना, और उनके योगदान को उजागर करना है.

केंद्र सरकार ने इस तरह के म्यूज़ियम के लिए राज्यों से प्रस्ताव मांगे थे. KIRTADS के प्रस्ताव को क़रीब तीन साल पहले मंजूरी मिली थी.

लेकिन, आदिवासी एक्टिविस्ट शुरू से ही म्यूड़ियम पर आपत्ति जताते आए हैं. उनका कहना है कि इस प्रयास से आदिवासी बस संग्रहालय तक सीमित रह जाएंगे, और उनके असली मुद्दों पर बात नहीं हो पाएगी.

एक्टिविस्ट मानते हैं कि इस तरह की योजनाएं आधुनिक समाज की उस मानसिकता का हिस्सा हैं, जो आदिवासी समुदायों को सिर्फ़ अतीत के अवशेष के रूप में देखते हैं. बजाय इसके कि आदिवासियों की मौजूदा जरूरतों और मुद्दों जैसे भूमि, शिक्षा और शासन में प्रतिनिधित्व की कमी का हल ढूंढा जाए.

दूसरी तरफ़ KIRTADS का मानना है कि यह म्यूज़ियम आदिवासी समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक स्मारक होगा, और उनकी संस्कृति के संरक्षण के लिए एक स्थान भी. एक समान्य म्यूज़ियम के अलावा इसमें आदिवासी भाषाओं, संगीत, प्रथाओं और कौशल विकास को समृद्ध करने की भी कोशिश होगी.

स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समुदायों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी. बिरसा मुंडा, मणिपुर की रानी गाइडिनल्यू, अल्लूरी सीताराम राजू, और संथाली सिधू और कान्हू मुरमू ऐसे नाम हैं जिनके बारे में बात होती है.

केरल में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ़ पझस्सी राजा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाले आदिवासी तलक्कल चंदू के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.

ऐसे में एक तरफ़ जहां आदिवासियों की उपलब्धियों का प्रचार करना ज़रूरी है, वहीं दूसरी तरफ़ इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि अतीत की बात करते-करते कहीं हम उनके वर्तमान को न भूल जाएं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments