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विशाखापत्तनम एजेंसी इलाके में अज्ञात बीमारी से फैला डर, पिछले 2 साल में 15 शिशुओं की मौत

उल्टी, बुखार और सांस फूलने जैसे लक्षणों वाली यह बीमारी शिशुओं को उनके जन्म के दो से चार महीने के अंदर पीड़ित कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले छह महीनों में आठ शिशुओं की इस बीमारी की वजह से मौत हुई है, और स्थिति और खराब हो रही है.

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले के एजेंसी इलाके की एक आदिवासी बस्ती में एक अज्ञात बीमारी को वजह से होने वाली शिशुओं की मौतों ने यहां के निवासियों में डर पैदा कर दिया है. हालात इतने खराब हैं की गर्भवती महिलाएं अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए दूसरी जगहों पर जाने को मजबूर हो रही हैं.

निवासियों का कहना है कि पिछले दो सालों में, इस बीमारी से पाठ रुदकोटा में कम से कम 15 शिशुओं की मृत्यु हुई है.

पेडाबायुलु मंडल मुख्यालय से लगभग 17 किमी दूर स्थित इस गाँव में लगभग 120 आदिवासी परिवारों के करीब 600 लोग रहते हैं.

उल्टी, बुखार और सांस फूलने जैसे लक्षणों वाली यह बीमारी शिशुओं को उनके जन्म के दो से चार महीने के अंदर पीड़ित कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले छह महीनों में आठ शिशुओं की इस बीमारी की वजह से मौत हुई है, और स्थिति और खराब हो रही है.

लोगों का कहना है कि ज्यादातर मौतें देर रात हुई हैं और लक्षण दिखने के बाद बच्चे मुश्किल से दो से तीन घंटे ही जीवित रहते हैं. कई मामलों में, माता-पिता के पास उन्हें अस्पताल ले जाने तक का समय नहीं था.

गाँव की एक मां ने द हिंदू को बताया, “मेरे बेटे को अचानक एक दिन सांस लेने में तकलीफ और दौरे पड़ने लगे. जब हम उसे अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहे थे, तब उसने अपनी आखिरी सांस ली. वह तब तक बहुत स्वस्थ और एक्टिव था.”

गांव के एक सरकारी स्कूल शिक्षक टी. सिम्हाद्री ने दो साल से भी कम समय में अपने दो बच्चों को इस बीमारी को खो दिया. फरवरी 2020 में, उनके चार महीने के बच्चे ने दम तोड़ दिया, और इस साल मार्च में, उनका दो महीने का बच्चा भी इसी बीमारी की भेंट चढ़ गया.

“डिलीवरी के बाद, दोनों बच्चे स्वस्थ थे. बाद में जब हम उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए ले गए तब भी वे ठीक थे. लेकिन रात में अचानक उनकी मौत हो गई. मेरा अकेला ऐसा मामला नहीं है. ऐसे कई माता-पिता हैं, जिन्हें इस दुख का सामना करना पड़ा है. सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए,” सिम्हाद्री कहते हैं.

गांव के कुछ बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने ऐसी मौत पहले कभी नहीं देखी, और शायद इनकी वजह अंधविश्वास और काला जादू है. हालांकि, इलाके के युवा और शिक्षित लोग इस मामले को सरकार के ध्यान में लाने की कोशिश में लगे हैं.

पारंपरिक दवाएं

पेडाबायुलु के एक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि बस्ती के कई लोग पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जिससे समस्या हो सकती है.

एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी के परियोजना अधिकारी, आर गोपाल कृष्ण का कहना है कि वो इस खबर से वाकिफ हैं, और मौत की वजहों का पता लगाने के लिए किंग जॉर्ज अस्पताल से डॉक्टरों की एक टीम भेजी जाएगी. डॉक्टर अगले हफ्ते गांव का दौरा करेंगे.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)

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