बाल विवाह आदिवासियों, विशेष रूप से केरल के वायनाड में पनिया और काट्टुनायकर जनजातियों के बीच आम है. इतना आम की बाल विवाह इन समुदायों के रीति-रिवाज़ का हिस्सा है.
तब भी जब कई मामलों में, आदिवासी युवक जो अपने पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के अनुसार कम उम्र की लड़कियों से शादी करते हैं, उन पर POCSO अधिनियम के तहत मामले भी दर्ज किए जाते हैं.
इस कुरीति से लड़ने के लिए District Legal Services Authority (DLSA) आदिवासी भाषा में इंजा नाम की एक 45 मिनट की फ़िल्म बना रहा है. उम्मीद है कि इससे आदिवासी लोगों में बाल विवाह के बारे में जागरुकता बढ़ेगी. राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को फिल्म का पोस्टर जारी किया.
वायनाड के सब-जज के. राजेश के मुताबिक़ POCSO अधिनियम के कड़े प्रावधानों से अंजान कई आदिवासियों ने पारंपरिक प्रथा के चलते नाबालिग लड़कियों से शादी की, और उन्हें जेल जाना पड़ा. कई बार, नाबालिग लड़की या उसके माता-पिता की औपचारिक शिकायत के बिना मामले दर्ज किए गए.
आमतौर पर ऐसे मामले तब दर्ज होते हैं जब ऐसी नाबालिग लड़कियों को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. अस्पताल के अधिकारी पुलिस को सूचित करते हैं, और उसके बाद पति को POCSO अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर लिया जाता है.
अकेले वायनाड ज़िले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों से ऐसे 250 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से लगभग 225 मामले आदिवासी समुदाय से जुड़े हैं.
हालांकि विभिन्न सरकारी एजेंसियों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा आदिवासियों के बीच जागरुकता पैदा करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, लेकिन इनका कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ है. इसीलिए इसपर आदिवासी भाषा में फ़िल्म बनाने की योजना बनाई गई.
फिल्म के निर्देशक भास्करन बतेरी ने बताया कि इंजा एक नाबालिग आदिवासी लड़की की शादी के बाद होने वाली सामाजिक और कानूनी समस्याओं पर केंद्रित है. इंजा फ़िल्म के हीरो का नाम है, और नेन्मेणी ग्राम पंचायत में चेरुमाड आदिवासी बस्ती के तीर्था ने यह भूमिका निभाई है. चुल्लियोडु में वन्नतरा आदिवासी बस्ती के चंद्रन ने दूसरी मुख्य भूमिका निभाई है.
फ़िल्म की शूटिंग चल रही है और इसके अक्टूबर के अंत तक रिलीज़ होने की उम्मीद है. फिल्म का निर्माण वायनाड डीएलएसए द्वारा अनुसूचित जनजाति विकास विभाग की वित्तीय सहायता से किया जा रहा है.