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आदिवासियों के लिए पीएम आवास योजना की पहली किस्त जनवरी में जारी होगी

प्रधानमंत्री जनमन के तहत सरकार ने हर पीवीटीजी परिवार को पक्का घर देने का मह्तवाकांक्षी लक्ष्य रखा है, लेकिन क्या उसके पास इसके लिए पर्याप्त समय है.

प्राधनमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के तहत केंद्र सरकार (Centre government) द्वारा पहली किस्त जनवरी के मध्य में जारी की जाएगी.

किस्त को जारी करने से पहले ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान करने के लिए 15 दिसंबर को सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है.

इसी मंत्रालय को पीएमएवाई-जी (पीएम आवास योजना) को लागू करने का कार्य सौंपा गया है

वहीं इस सर्वेक्षण से पहले मंत्रालय के ऑनलाइन आवेदन आवास ऐप में आवश्यक संशोधन किए गए थे.

इस सर्वेक्षण को 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रहने वाले 75 पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) के बीच किया जाएगा.

इन 18 राज्यों में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं.

वहीं पहले सर्वेक्षण के अंतर्गत लगभग 28,000 परिवारों को शामिल किया गया था.

इसके अलावा 15 नवंबर, जनजातीय गौरव दिवस के दिन झारखंड के खूंटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम जनमन की घोषणा की थी.

जिसके बाद 29 नवंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम जनमन (प्रधान मंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान योजना) के तहत पीवीटीजी के लिए 4.9 लाख घर को बनाने की घोषणा की थी.

पीवीटीजी यानि विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों के लिए बनाये जाने वाले ये घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जाने वाले 2.95 करोड़ घरों में शामिल नहीं हैं.

वहीं पीएम आवास योजना के तहत पीवीटीजी के लिए घरो की कीमत को केंद्र सरकार द्वारा 2 लाख रूपये तक बड़ा दिया गया है.

यह कीमत अभी तक मैदानी क्षेत्रों में 1.2 लाख रुपये और पहाड़ी क्षेत्र में 1.30 लाख रुपये है.

इसके अलावा पीएम आवास योजना के तहत सभी लाभार्थियों को 12500 रूपये शौचालय बनाने के लिए उपलब्ध करवाएं जाएंगे. इसके अलावा रोज़गार गारंटी योजना यानि नरेगा के तहत 90 दिन तक रोज़गार भी उपलब्ध करवाया जाएगा.

कुल मिलाकर देखे तो 2 लाख रूपये घरों के लिए + 12500 शौचालय के लिए + 27000 रूपये वेतन = 2.39 लाख रुपये तक का लाभ पीवीटीजी को दिया जाएगा.

इन योजनाओं के अलावा केंद्र का लक्ष्य पीवीटीजी को स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेहतर पोषण, सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी सुविधाएं प्रदान करना है.

सरकार ने पीवीटीजी समुदायों तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए युद्ध स्तर पर काम शुरु किया है. इसके बावजूद यह लक्ष्य तय समय में हासिल हो सकेगा यह कहना मुश्किल है.

क्योंकि सरकार के पास पीवीटीजी से जुड़े ज़रूरी आंकड़े मौजूद नहीं है. सरकार ने फ़िलहाल अनुमान के आधार पर 22000 हज़ारों गांवों में सर्वेक्षण की शुरूआत की है.

केंद्र सरकार ने दावा किया है कि सर्वेक्षण का काम 15 दिसबंर से शुरू हो चुका है. लेकिन MBB को मिली जानकारी के अनुसार कई राज्यों में अभी इस सर्वेक्षण के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने की तैयारी हो रही है.

आदिवासियों के लिए अलग अलग योजनाओं को लागू करने में सरकार तत्परता दिखा रही है. लेकिन यह एक ज़रूरी सवाल है कि आदिवासियों के लिए काम करने वाली योजनाओं का शुरूआत देश में होने वाले आम चुनाव के इतने करीब क्यों की गई है.

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