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असम: डायन होने के शक में आदिवासी महिला को जिंदा जलाया, छह गिरफ्तार

इस तरह के मामलों में कार्रवाई के लिए पुलिस पर दबाव बनाने वाले कार्यकर्ताओं को समुदाय में समाज को बदनाम करने वाला घोषित कर दिया जाता है. इस तरह की घटनाएँ आदिवासी गाँवों में बेहद सामान्य मानी जाती हैं.

असम में एक महिला को डायन होने के संदेह में लोगों के एक समूह ने कथित तौर पर जिंदा जला दिया. पीड़ित आदिवासी महिला संगीता काति तीन बच्चों की मां थी.

यह घटना रविवार शाम उत्तरी असम के सोनितपुर जिले के एक गांव में हुई. पुलिस ने बताया कि महिला को नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया.

पुलिस ने घटना के सिलसिले में छह लोगों को गिरफ्तार किया है. सभी आरोपी एक ही गांव के निवासी हैं.

एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि असम के सोनितपुर जिले में जादू-टोना करने के आरोप में एक महिला पर धारदार हथियारों से हमला किया गया और उसे जला दिया गया.

मृतक के पति राम काति ने बताया कि जब उनकी पत्नी खाना बना रही थी तभी हमलावरों ने उनके घर पर धावा बोल दिया. उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी पर डायन होने का आरोप लगाया गया और उसकी पिटाई की गई. जब मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे उसे न मारें और सुबह आएं तो मुझे भी पीटा गया.

राम काति ने आगे आरोप लगाया, “जब मेरे तीन बच्चे हमें पिटते हुए देखकर रो रहे थे तो मैं उन्हें अपने साथ लेकर पास में रहने वाले अपने भाई के घर छोड़ने के लिए बाहर गया. जब मैं वापस लौटा तो मैंने देखा कि मेरे घर में आग लगी हुई है.”

सोनितपुर जिले के पुलिस अधीक्षक सुशांत बिस्वा सरमा ने सोमवार को कहा कि स्थानीय लोगों से सूचना मिलने के बाद पुलिस की एक टीम घटनास्थल पर पहुंची थी.

सरमा ने कहा कि हमने गांव के कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने कथित तौर पर महिला को आग लगा दी थी. उनसे पूछताछ की जा रही है. अभी तक हम निश्चित नहीं हो सकते हैं कि उसे डायन होने के संदेह में मार दिया गया था.

गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान अजय संघार, धीरज भागुवार, सूरज भागुवार, पिंकू मल्हार, बैला संघार और बाबुल नागधर के रूप में हुई है. जिनकी उम्र 30 से 35 वर्ष के बीच है.

पुलिस के मुताबिक, शव को पोस्टमॉर्टम के लिए तेजपुर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (टीएमसीएच) भेज दिया गया है.

नागपुर में तीन लोगों की काला जादू करने के संदेह में हत्या

इस तरह की ये पहली खबर नहीं है. देश के कई आदिवासी इलाक़ों से लगभग हर हफ़्ते जादू टोना के शक में हत्याओं की खबर आती रहती है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में 6 दिसंबर को गढ़चिरौली से 150 किलोमीटर दूर नागपुर के गुंडापुरी गांव में काला जादू करने के संदेह में एक बुजुर्ग दंपति और उनकी पोती की हत्या कर दी गई थी. हालांकि, इस मामले में पुलिस ने नौ लोगों को गिरफ्तार किया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दंपति के बेटे, रमेश और वीनू के साथ-साथ अन्य रिश्तेदारों की पहचान आरोपी के रूप में की गई. जिन्होंने देवू कुमोती (60) की हत्या कर दी और अपनी पत्नी बिच्चे (55) का गला काट दिया, जब वह सो रही थी.

बुजुर्ग दंपत्ति की पोती अर्चना तलंदी (10) चिल्लाने लगी तो एक महिला समेत आरोपियों ने उसे भी चुप करा दिया.

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आदिवासी-उपचार अनुष्ठानों का अभ्यास करने के बावजूद उनके कई “रोगियों” का स्वास्थ्य या तो खराब हो गया या उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद ग्रामीण और देवू का परिवार देवू से नाराज था.

रमेश और वीनू अपने पिता से निराश थे जिन्हें काला जादू करने के कारण गाँव वालों ने बहिष्कृत कर दिया था.

इस तरह की घटनाएं आम

आज के इस आधुनिक युग में भी सदियों पुरानी यह सामाजिक बुराई झारखंड समेत देश के कुछ दूसरे राज्यों में प्रचलित है. जबकि इन सभी राज्यों में आदिवासियों की आबादी काफी है. यह राज्य हैं – झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र.

NCRB के आंकड़ों के मुताबिक विच हंटिंग के रूप में हत्याओं की सबसे ज़्यादा संख्या झारखंड में होती है. दूसरे नंबर पर ओडिशा है.

इस तरह के मामलों में कार्रवाई के लिए पुलिस पर दबाव बनाने वाले कार्यकर्ताओं को समुदाय में समाज को बदनाम करने वाला घोषित कर दिया जाता है. MBB की टीम ने झारखंड में इस मसले को समझने की कोशिश में कई दिन वहाँ लगाए थे.

MBB की पड़ताल में पता चला कि इस तरह की घटनाएँ आदिवासी गाँवों में बेहद सामान्य मानी जाती हैं. इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने में अक्सर पूरा गांव शामिल होता है. हमने यह भी पाया था कि जादू टोने के शक में औरतों पर ज़ुल्म ज़्यादा किया जाता है.

काले जादू या टोने के शक में हत्याओं के कई कारण बताए जाते हैं. इनमें कई बार आपसी दुश्मनी या फिर ज़मीन हड़पने की मंशा से भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है. शिक्षा की कमी तो एक बड़ा कारण है ही.

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