हाल ही में आए चक्रवात ‘फेंगल’ और उसके कारण पैदा हुई बाढ़ की स्थिति ने पुडुचेरी में भारी तबाही मचाई.
इस प्राकृतिक आपदा में क्षेत्र के सभी निवासियों को नुकसान हुआ है लेकिन विशेष रूप से आदिवासियों को इसकी मार झेलनी पड़ी है क्योंकि वे झोपड़ियों और तिरपाल से बने कच्चे मकानों में रहते हैं इसलिए उनके घरों को अधिक क्षति पहुंची है.
इसलिए इन आदिवासी परिवारों ने सरकार से अपने समुदाय के लिए अलग से राहत फंड जारी करने की मांग की है ताकि वे अपने घरों का पुनर्निमाण कर सकें और सामान्य जीवन की ओर लौट सकें.
ज्ञापन सोंपकर मांगी अतिरिक्त सहायता
आदिवासी मुक्ति आंदोलन के राज्य सचिव मा एकंबारम ने सोमवार को केंद्रीय टीम के संयुक्त सचिव राजेश गुप्ता को एक ज्ञापन सौंपा.
इस ज्ञापन में उन्होंने आदिवासी समुदाय के लिए अतिरिक्त सहायता की मांग की. उनका कहना है कि इस चक्रवात और बाढ़ ने हजारों लोगों की आजीविका छीन ली है लेकिन आदिवासी समुदायों पर इसका प्रभाव सबसे ज़्यादा पड़ा है.
उन्होंने बताया कि बाढ़ के कारण आदिवासी परिवारों को अपने बच्चों सहित पांच दिनों तक स्कूलों और सरकारी भवनों में शरण लेनी पड़ी.
हालांकि सरकार ने इस दौरान भोजन और अस्थायी आश्रय प्रदान किया लेकिन घर लौटने के बाद इन परिवारों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
ये आदिवासी आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि घरों का पुनर्निमाण कर सके और घरों की मरम्मत में देरी से उनकी आजीविका भी बाधित हो रही है. इन परेशानियों ने उनके पुनर्वास की प्रक्रिया को और लंबा कर दिया है.
आदिवासियों को राहत में प्राथमिकता देने की आवश्यकता
मा एकंबारम ने कहा कि चक्रवात ने समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया है लेकिन आदिवासी समुदायों को सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा है.
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि राहत कार्यों में आदिवासी समुदाय को प्राथमिकता दी जाए और उनके लिए विशेष उपाय किए जाएं ताकि सभी प्रभावित समुदायों का समान रूप से पुनर्वास हो सके.
क्षेत्रों का दौरा और सरकारी आश्वासन
सरकारी अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया और जनता को पर्याप्त सहायता का आश्वासन दिया है. लेकिन आदिवासी समुदाय ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि राहत कार्यों में सभी वर्गों के साथ समानता सुनिश्चित की जाए और उनके लिए भी योजनाएं बनाई जाएं.
आदिवासियों की अपील
आदिवासी समुदाय ने सरकार से अपील की है कि उनके लिए अलग से राहत फंड आवंटित किया जाए ताकि वे अपने घरों को दोबारा खड़ा कर सकें और अपनी आजीविका को वापस पटरी पर ला सकें.
साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में ऐसी आपदाओं के लिए ठोस योजनाएं बनाई जाएं ताकि सबसे कमजोर वर्गों को तुरंत सहायता मिल सके.