गोदावरी नदी में बढ़ती बाढ़ और पोलावरम डैम के बैकवॉटर से खुद को बचाने के लिए इलाक़े के कई आदिवासी परिवारों को पहाड़ी इलाकों का रुख करना पड़ा है. वहां वो फ़िलहाल कामचलाउ शेड बनाकर रह रहे हैं.
जलग्रहण क्षेत्रों (Catchment Area) में लगातार बारिश से कई बस्तियों में बाढ़ का पानी घुस गया है.
कोया और कोंडा रेड्डी आदिवासी परिवारों ने सरकार से उन्हें जल्द से जल्द आर एंड आर कॉलोनियों में शिफ़्ट करने की मांग की है, क्योंकि बाढ़ का पानी दिन-ब-दिन बढ़ रहा है. आदिवासियों को डर है कि कॉफ़र डैम के पूरी तरह बंद होने से इस साल बाढ़ की गंभीरता ज़्यादा होगी.
प्रशासन की तरफ़ से कार्रवाई में दोरी की वजह से इन बस्तियों के निवासियों को अपने घर छोड़कर ऊंचे इलाकों में जाना पड़ रहा है. यह आदिवासी अपने घरों का ज़रूरी सामान, मिट्टी का तेल और परिवार के सभी लोगों के साथ पहाड़ियों पर कामचलाउ झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं.
दुख की बात यह है कि इन आदिवासियों के लिए यह आम बात है. हर साल उन्हें बारिश के मौसम में यह प्रक्रिया करनी पड़ती है, जब भद्राचलम में गोदावरी में बाढ़ का स्तर दूसरे चेतावनी स्तर (48 फीट) को पार कर जाता है.
इस साल फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि पोलावरम के बैकवॉटर की वजह से, नदी में बाढ़ आने से पहले ही कई गाँवों में पानी घुस गया और वो डूब गए.
सड़क संपर्क कटा
हालात कितने ख़राब हैं इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पोलावरम मंडल में क़रीब 19 बस्तियों का सड़क संपर्क पूरी तरह से कट गया है, क्योंकि बैकवॉटर ने कोतुर कॉज़वे को पूरी तरह से जलमग्न कर दिया है.
बाढ़ का पानी वेलेरुपाडु, कुकुनूर, देवीपट्टनम, बुट्टाईगुडेम और दूसरे मंडलों के कुछ गांवों में घुस चुका है. ऐसे में यहां के निवासियों को एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए नावों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है.
इस साल बैकवॉटर की वजह से बाढ़ का प्रकोप ज़्यादा है. आमतौर पर जुलाई महीने के अंत में ही यहां बाढ़ आती है, लेकिन इस साल जून में ही हज़ारों परिवारों को अपना घर खाली करना शुरू करना पड़ा.
भद्राचलम में जल स्तर सिर्फ़ 10 फ़ीट होने पर भी बाढ़ जैसे हालात हैं, तो आने वाले दिनों में आप सोच ही सकते हैं कि हालात क्या होंगे. कई बस्तियों में घुटनों तक पानी नज़र आ रहा है.