तमिलनाडु के कोयम्बत्तूर ज़िले के वालपराई के पास की आठ आदिवासी बस्तियों के 200 से ज़्यादा लोगों को COVID-19 वैक्सीन का पहला शॉट लग चुका है.
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की निष्ठा से ही यह संभव हो पाया है, क्योंकि भारी बारिश और घने जंगलों के फिसलन भरे रास्तों को पार वो इन आदिवासियों तक पहुंचे.
वैक्सीन लगाने से पहले कई दिनों तक आदिवासियों को वैक्सिनेशन अभियान के बारे में शिक्षित किया गया.
स्वास्थ्य सेवाओं के उप निदेशक एस सेंथिल कुमार ने एक अखबार को बताया कि स्वास्थ्य विभाग बस्तियों के निवासियों के बीच वैक्सीन को लेकर झिझक को दूर करने के लिए कई उपाय कर रहा है. इसी का नतीजा है कि यह आदिवासी स्वेच्छा से वैक्सीन की पहली डोज़ के लिए आगे आए.
वालपराई ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी बाबू लक्ष्मण के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने सुबह कीलपूनाची और वेल्लीमुडी आदिवासी बस्तियों में शिविर आयोजित किए, जिसके बाद उन्होंने काडमपरई का दौरा किया.
नेदुंगुंड्रम बस्ती में एक अलग शिविर आयोजित किया गया. शंकरनकुडी, उदुमनपरई और परमनकडवु के लोगों को नल्लमुडी आना पड़ा, क्योंकि उन बस्तियों तक पहुंचना बेहद मुश्किल था. नल्लमुडी में एक अलग शिविर आयोजित किया गया था.
अन्नमलई टाइगर रिज़र्व (एटीआर) के वालपराई और मानमबोली रेंज के वन विभाग के कर्मचारियों ने अभियान के लिए स्वास्थ्य विबाग का साथ दिया.
एस सेंथिल कुमार ने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में इलाक़े की दूसरी आदिवासी बस्तियों के निवासियों को भी वैक्सीन लगाने के लिए और ज़्यादा वैक्सिनेसन कैंप आयोजित करने का प्लान है.
आदिवासी बस्तियों में COVID-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए एटीआर के अधिकारियों ने हाल ही में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब वैक्सीन के भी लग जाने से इन आदिवासियों का सुरक्षा कवच बेहतर हो गया है.