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मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के एक गांव पर किया हमला

जिरिबाम शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर बोरोबेकरा घने जंगलों से घिरा है और एक पर्वतीय क्षेत्र है. पिछले साल मई में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद इस इलाके में ऐसे कई हमले हुए हैं.

मणिपुर में पिछले डेढ़ साल से भी ज्यादा वक्त से जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय और मैतेई, कुकी और नागा समुदायों के विधायकों के बीच नई दिल्ली में हुई बैठक के दो दिन के भीतर राज्य में आज (19 अक्टूबर) ताजा हिंसा भड़क उठी. उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के एक गांव पर हमला कर दिया.

एक अधिकारी ने बताया कि उग्रवादियों ने आधुनिक हथियारों से तड़के करीब पांच बजे बोरोबेकरा पुलिस थाने के तहत आने वाले एक गांव को निशाना बनाया.

उन्होंने बताया कि उग्रवादियों ने बमबारी भी की. इस दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और पुलिस कर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की और दोनों ओर से भारी गोलीबारी हुई.

हालांकि राहत की बात यह है कि अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. वहीं फिर से हिंसा शुरू होने पर सुरक्षा बल बुजुर्ग लोगों, महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं.

जिरिबाम शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर बोरोबेकरा घने जंगलों से घिरा है और एक पर्वतीय क्षेत्र है. पिछले साल मई में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद इस इलाके में ऐसे कई हमले हुए हैं.

इससे पहले 17 अक्टूबर को इंफाल पश्चिम जिले के कोत्रुक गांव में 2 समूहों के बीच गोलीबारी हुई थी. इस घटना को लेकर पुलिस ने बताया था कि सशस्त्र हमलावरों ने कांगपोकपी जिले की पहाड़ियों से निचले इलाके कोत्रुक गांव पर हमला किया.

इसके बाद गांव के स्वयंसेवकों ने जवाबी कार्रवाई की थी. स्थिति को नियंत्रित करने और व्यवस्था बहाल करने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया था.

मणिपुर काफी लंबे वक्त से हिंसा की आग में जूझ रहा है. इसी को देखते हुए राज्य में जारी संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के लिए संघर्षरत मैतई, कुकी और नागा समुदायों के विधायकों के बीच नई दिल्ली में बातचीत के लिए बैठक बुलाई गई थी.

जिसमें कुल 17 विधायक शामिल हुए. इनमें से 9 मैतई समुदाय के, 5 कुकी समुदाय के और 3 नागा समुदाय के थे. इस बैठक के कुछ ही दिन बाद यह हिंसा देखने को मिली है.

हिंसा के बाद मैतई, कुकी और नागा समुदायों के बीच पहली बार कोई बैठक हुई थी, जो काफी देर तक चली लेकिन इसका क्या नतीजा निकला, यह सामने नहीं आया.

पिछले साल मई में मणिपुर में भड़की हिंसा में 220 से ज्यादा से लोगों की मौत हो गई. वहीं 50 हज़ार से अधिक लोगों को अपना घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा.

(PTI file image)

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