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21 जून तक लागू करना है फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट, आदिवासी संगठनों की गोवा सरकार को चेतावनी

गोवा में फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट 2006 को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 21 जून 2021 तक का समय देते हुए कहा था कि इस दौरान सभी लंबित मामले निपटा दिए जाने चाहिए.

गोवा में आदिवासी संगठनों ने राज्य सरकार को याद दिलाया है कि उसे फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट के तहत लंबित मामले निपटाने हैं. इन संगठनों ने राज्य सरकार को यह भी याद दिलाया है कि इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 21 जून 2021 तक की समय सीमा दे रखी है. 

इन संगठनों ने कहा है कि अगर राज्य सरकार फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट के तहत किए गए दावों का निपटारा तुरंत शुरू नहीं करती है, तो सुप्रीम कोर्ट की दी हुई समय सीमा में यह काम निपटाना संभव नहीं होगा. 

गोवा में फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट 2006 को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 21 जून 2021 तक का समय देते हुए कहा था कि इस दौरान सभी लंबित मामले निपटा दिए जाने चाहिए. 

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत

फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट 2006 के तहत किए गए दावों में से गोवा में 9778 अभी भी लंबित हैं. गोवा में आदिवासियों के संगठन दी युनाइटेड ट्राइबल एसोसिएशन अलायंस ने कहा है कि राज्य में वनाधिकार क़ानून लागू ना किए जाने से आदिवासियों का नुक़सान हो रहा है. 

इस संगठन ने आज यानि 5 फ़रवरी को इस मामले पर विचार करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया है. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने देश के अलग अलग राज्यों में एक आदेश में कहा था कि जिन आदिवासियों के दावे ख़ारिज कर दिए गए हैं, उन्हें उस ज़मीन से हटा दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद हड़कंप मच गया.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश पर रोक लगा कर अलग अलग राज्यों को अपना पक्ष रखते हुए एफिडेविट फ़ाइल करने के लिए कहा था. गोवा के मामले में पाया गया था कि इस राज्य में फ़ॉरेस्ट राइट्स एक्ट को लागू करने में सरकार ने कोई संजीदगी नहीं दिखाई थी.

यहाँ पर एफ़आरए के तहत आदिवासियों के कुल दावों में से 68 प्रतिशत को रद्द कर दिया गया था. राज्य सरकार ने ख़ुद सुप्रीम कोर्ट के हलफ़नामे में यह कहा है कि इन आदिवासियों को दावे रद्द करने से पहले कोई मौक़ा या जानकारी नहीं दी गई थी. 

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