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गुजरात : आदिवासी छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोप में स्कूल प्रिंसिपल गिरफ्तार

प्रिंसिपल ने कथित तौर पर छात्राओं को बर्तन, कपड़े धोने और घर की सफाई करने के बहाने बुलाया और उनका यौन उत्पीड़न किया.

गुजरात के सूरत जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जहां आश्रम स्कूल में रहने वाली कई छात्राओं ने अपने प्रिंसिपल पर यौन शोषण का आरोप लगाया है. हालांकि, छात्राओं की शिकायत के बाद प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया गया है.

पुलिस ने बताया कि सोमवार को स्कूल प्रिंसिपल को दो आदिवासी छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

अधिकारियों ने बताया कि रविवार रात को स्कूल की एक वार्डन ने शिकायत दर्ज कराई थी.

पुलिस को दी गई शिकायत में वार्डन ने आरोप लगाया कि आरोपी ने 27 अगस्त से 29 सितंबर के बीच दो आदिवासी छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया.

प्रिंसिपल ने कथित तौर पर छात्राओं को बर्तन, कपड़े धोने और घर की सफाई करने के बहाने बुलाया और उनका यौन उत्पीड़न किया.

शिकायत में कहा गया है, “आरोपी इन छात्राओं के क्वार्टर में देर रात को तब आता था, जब वे सो रही होती थीं.”

पुलिस ने बीएनएस धारा 74 (महिलाओं के खिलाफ हमला या आपराधिक बल के इस्तेमाल के कृत्यों से संबंधित है, जिसका उद्देश्य उनकी शील भंग करने की मंशा या संभावना है), 75 (1) (1) (शारीरिक संपर्क और अवांछित और स्पष्ट यौन प्रस्तावों से संबंधित प्रगति), 77 (दृश्यरतिकता का अपराध) के तहत एफआईआर दर्ज की है.

यह एक महिला को निजी कार्यों के दौरान देखने या उसकी तस्वीरें खींचने के कृत्य को अपराध बनाता है, जहां उसे उम्मीद है कि कोई उसे नहीं देखेगा. कानून में पहली बार और बार-बार अपराध करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है, जिसमें कारावास से लेकर जुर्माना तक शामिल है).

प्रिंसिपल पर POCSO अधिनियम 8, 12 और अत्याचार अधिनियम 3 (2) (5-ए) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस ने उसका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया है और उससे डेटा प्राप्त कर रही है.

इसके अलावा प्रिंसिपल पर कई गंभीर आरोप लगे हैं. छात्राओं ने बताया कि वह दवा देने के बहाने उनके साथ छेड़छाड़ करता था. उसने छात्राओं के कई छोटे-छोटे समूह बना रखे थे, जिनसे वह आश्रम के अलग-अलग काम करवाता था. इस दौरान वह किसी न किसी बहाने उनको छूता था.

पुलिस ने कहा कि आरोपी 2003 में एक शिक्षक के रूप में स्कूल में शामिल हुआ था. अधिकारियों ने कहा कि उसे 2013 में प्रिंसिपल के रूप में पदोन्नत किया गया था.

प्रिसिंपल स्कूल के स्टाफ क्वार्टर में अकेले रहता था. यह स्थिति उसे छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार करने का अवसर देती थी। इस तरह की व्यवस्था आदिवासी छात्रा सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है और इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए.

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