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झारखंड में आदिवासियों को निशाना बनाने वाले नौकरी घोटाले का भंडाफोड़, आठ गिरफ्तार

पुलिस के अनुसार, 500 से ज़्यादा आदिवासी ग्रामीणों को कुछ लोगों ने यह भरोसा दिलाया कि उन्हें पुलिस कर्मी और शिक्षकों के पदों पर भर्ती किया जा रहा है.

पुलिस ने झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में आदिवासी समुदायों के लोगों को टार्गेट करते एक नौकरी घोटाले का भंडाफोड़ किया है.

पुलिस के अनुसार, 500 से ज़्यादा आदिवासी ग्रामीणों को कुछ लोगों ने यह भरोसा दिलाया कि उन्हें पुलिस कर्मी और शिक्षकों के पदों पर भर्ती किया जा रहा है.

रविवार को चार लोगों की गिरफ्तारी के साथ घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद ग्रामीणों की भारी भीड़ ने थाने को तीर-कमान से निशाना बनाया. इसके बाद हुई झड़प में एक पुलिसकर्मी और कुछ ग्रामीण घायल हो गए.

घटना का पता तब चला जब पुलिस सदर प्रखंड के लादुराबासा गांव के स्कूल परिसर में पहुंची, जहां संदिग्ध कोल्हान गवर्नमेंट स्टेट के बैनर तले ‘भर्तियां’ चल रही थीं. पुलिस ने कहा कि आदिवासी समुदायों के लोगों को फर्जी भर्ती प्रक्रिया की ओर लुभाने के लिए बैनर का इस्तेमाल किया जा रहा था.

ख़बरों के मुताबिक़ पश्चिमी सिंहभूम के एसपी अजय लिंडा ने कहा, “हमने दो एफआईआर दर्ज की हैं – एक धोखाधड़ी और जालसाज़ी के लिए, और दूसरी पुलिस पर हमला होने के बाद. हमारा एक कर्मी धनुष से घायल हो गया और उसका इलाज चल रहा है.”

मारपीट के आरोप में आठ ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया है. एसपी ने घोटाले के दो मुख्य आरोपियों की पहचान आनंद चतर और अजय पांडे के रूप में की है. पुलिस के अनुसार, पांडे ने उन्हें बताया कि चतर ने उन्हें अपने ऑपरेशन का हिस्सा बनने के लिए 1 लाख रुपये देने का वादा किया था.

पुलिस ने कहा कि चार लोगों को उस जगह से गिरफ्तार किया गया जहां फर्जी भर्ती की जा रही थी, जबकि चार दूसरे लोगों को बाद में गिरफ्तार किया गया.

“यह लोग पैम्फलेट बांट रहे थे और फॉर्म फीस के नाम पर 50 से 100 रुपये तक ग्रामीणों से वसूल रहे थे. पुलिस ने ग्रामीणों को सच्चाई बताई और आनंद चतर समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया. चतर पहले भी कोल्हान सरकार के राज्य का प्रचार करने के लिए राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हो चुका था, और फिलहाल जमानत पर बाहर था,” एसपी ने कहा.

जब पुलिस ने चतर को गिरफ्तार किया और उसे थाने लेकर आए, तो सीआरपीएफ के एक जवान, जो एक भगोड़ा था, के उकसाने पर 200 से ज्यादा ग्रामीण धनुष और तीर और ईंटों से लैस होकर थाने पर हमला करने आए. इसलिए आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया.

फर्जी भर्तियां पिछले कुछ दिनों से चल रही थीं.

भर्ती के आवेदन दाखिल करने के लिए काउंटर लगाए गए थे. फॉर्म की कीमत लगभग 50-60 रुपये थी और अगर इसमें कोई बिचौलिया शामिल होता तो लागत बढ़कर 100 रुपये हो जाती.

अगर किसी को ‘नियुक्ति पत्र’ मिलता तो उसे बीमा के लिए 500 रुपये और देने पड़ते, और बैंक पासबुक और आधार कार्ड जैसे दस्तावेज जमा करने होते.

आरोपियों ने शिक्षक पदों के लिए 30,000 और पुलिस कर्मियों के लिए 10,000 लोगों को भर्ती करने का लक्ष्य रखा था. उम्मीदवारों को बताया गया था कि छह महीने की प्रक्रिया के बाद, चुने गए लोगों को 70,000 रुपये प्रति माह का वेतन मिलेगा.

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