तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में पुलिस चार आदिवासी महिलाओं द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत की जांच कर रही है. इस शिकायत में फॉरेस्ट गार्ड द्वारा एक नाबालिग लड़की से छेड़खानी करने, और महिलाओं को पिटाई करने का आरोप लगाया गया है.
मुलकलपल्ली प्रखंड के राजन्नागुडेम ग्राम पंचायत की आदिवासी महिलाओं ने शनिवार को शिकायत दर्ज कराई थी. दूसरी तरफ, फॉरेस्ट गार्ड ने भी महिलाओं के खिलाफ एक काउंटर शिकायत दर्ज की, जिसमें उसने कहा कि महिलाओं ने वन नियमों का उल्लंघन किया है और उसके काम में बाधा डाली है.
मुलकलपल्ली के एसिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर तिरुमला राव ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, “हम दोनों शिकायतों की प्रारंभिक जांच कर रहे हैं. हमने अभी तक मामला दर्ज नहीं किया है. हम जानकारी इकट्ठा करने के बाद ऐसा करेंगे.”
CPI (ML) के राज्य संयुक्त सचिव पोटू रंगा राव के अनुसार, तीन आदिवासी महिलाएं और एक 15 साल की लड़की, मूल रूप से छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं और जिले के जंगलों में रहती हैं. शुक्रवार की दोपहर यह सब जंगल में जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने गई थीं.
रंगा राव का आरोप है, “एक फॉरेस्ट गार्ड, जिसने उन्हें लकड़ी काटते हुए देखा, उन पर चिल्लाया और जब उन्होंने वापस जवाब दिया तो उसने उनकी पिटाई की. उससे बचने के प्रयास में, लड़की गहरी खाई में गिर गई और उसके शरीर पर चोटें आईं. उसे खाई से खींचने के बहाने फॉरेस्ट गार्ड ने उसके कपड़े फाड़ दिए और उससे छेड़छाड़ करने की कोशिश की.”
आदिवासी महिलाएं मौके से भागने में सफल रहीं और शाम तक अपने गांव पहुंच गईं. वहां उन्होंने सरपंच को सारी बात बताई. सरपंच की मदद से ही थाने में शिकायत दर्ज कराई गई.
जैसे ही यह खबर फैली, स्थानीय वामपंथी कार्यकर्ताओं और महिला प्रगतिशील संगठन (पीओडब्ल्यू) के कार्यकर्ताओं ने मुलकलपल्ली शहर में एक रैली निकाली और फॉरेस्ट गार्ड के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
राज्य की आदिवासी कल्याण मंत्री सत्यवती राठौड़ ने जांच के आदेश दिए हैं.
“आदिवासी महिलाएं अपने घरेलू उपयोग के लिए जलाऊ लकड़ी लाने के लिए जंगल में जाती थीं. फॉरेस्ट गार्ड उन्हें कैसे रोक सकते हैं और पीट सकते हैं? सरकार उचित जांच के बाद कड़ी कार्रवाई करेगी,” राठौड़ ने एक बयान में कहा.
जिला वन अधिकारी रंजीत नाइक ने कहा कि वन विभाग ने तथ्यों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है और आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.