भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ और आदिवासियों की घटती आबादी का मुद्दा उठा रही है. ऐसे में इसके जवाब में अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदिवासी सरना धर्म कोड का मामला उठाया है.
उन्होंने कहा कि अलग धार्मिक संहिता-सरना के साथ मूल निवासियों को “अपनी पहचान से क्यों वंचित रखा गया.”
गिरिडीह में ‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा ने अलग सरना धार्मिक संहिता के लिए प्रस्ताव पारित किया था और केंद्र को भेजा था, जिसे अबतक मंजूरी नहीं मिली है.
सोरेन ने कहा, “विपक्ष घुसपैठ, ‘लव जिहाद’, ‘भूमि जिहाद’ और आदिवासियों की घटती आबादी के बारे में बात करता है. मैं पूछना चाहता हूं कि सरना धार्मिक संहिता को मंजूरी क्यों नहीं दी गई. जब हमारी कोई पहचान नहीं होगी तो स्वाभाविक है कि हमारी आबादी घटेगी.”
इस अवसर पर सीएम ने धनबाद और गिरिडीह जिले के लिए लगभग 465 करोड़ रुपये की 310 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया.
हेमंत सोरेन ने कहा, “सरकार गरीबों के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है. किसानों के कृषि ऋण माफ किए जा रहे हैं, गरीबों के लिए 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त की जा रही है, निजी संस्थानों की तर्ज पर उत्कृष्ट विद्यालय खोले जा रहे हैं और राज्य में महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित किया जा रहा है.”
उन्होंने कहा कि राज्य में 50 लाख से अधिक महिलाओं को झारखंड मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना का लाभ दिया जा रहा है.
सोरेन ने भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि झारखंड में अगले दो-तीन महीनों में होने वाले चुनाव को देखते हुए पूरे राज्य में राजनीतिक गिद्ध मंडराने लगे हैं. कोई असम से आ रहा है तो कोई छत्तीसगढ़ से.
उन्होंने आगे कहा कि अभी छोटे-छोटे गिद्ध आ रहे हैं. कुछ दिनों बाद बड़े-बड़े गिद्ध नजर आएंगे, जो जनता को झूठे आश्वासन परोसेंगे. कोई जाति तो कोई धर्म और कोई अगड़ा-पिछड़ा के नाम पर दिग्भ्रमित करेंगे. ऐसे गिद्धों से जनता को सावधान रहना होगा.
सोरेन ने कहा कि चार साल के शासनकाल में हमारे विरोधियों ने परेशान करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी. मुझे जेल में डाल दिया गया लेकिन ये जनता का आशीर्वाद है कि मैं आपके सामने हूं.
झामुमो नेता ने भाजपा पर आदिवासियों-दलितों को ठगने का आरोप लगाते हुए कहा कि लेटरल एंट्री के नाम से आदिवासियों-दलितों की जगह पर बैकडोर से लोगों को लाने की तैयारी हो रही है. झारखंड के पिछड़ों के अधिकार में भी भाजपा ने कटौती की.
उन्होंने आगे कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने इस राज्य में पिछड़ों का 27 प्रतिशत का आरक्षण काटकर 14 प्रतिशत कर दिया. हमलोग जब यहां आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने का कानून बनाकर भेजते हैं तो ऊपर बैठे लोग उसे असंवैधानिक बताकर रोक देते हैं. कभी गवर्नर रोक देते हैं तो कभी दिल्ली में बैठी सरकार.
हेमंत सोरेन ने कहा कि हम कुछ काम करें तो असंवैधानिक हो जाता है, वो कुछ भी करें तो संवैधानिक. पहले की सरकार में राज्य के वन क्षेत्रों में रहने वालों को मात्र 1-2 डिसमिल जमीन का वन पट्टा मिलता था. हम लोग अब एकड़ की नाप से वन पट्टा बांट रहे हैं. अब लोग उस जमीन पर फलदार वृक्ष लगाएं. जब तक पेड़ रहेंगे, तब तक वो जमीन उनकी है.