झारखंड में आदिवासियों के विकास की स्थिति को दर्ज करने के लिए एक महत्वपूर्ण फ़ैसला लिया गया है. झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने फ़ैसला किया है कि राज्य में आदिवासी विकास इंडेक्स (Tribal Development Index ) तैयार किया जाएगा.
यह इंडेक्स संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स की तर्ज पर तैयार किया जाएगा.
इस आदिवासी विकास सूचकांक का मक़सद यह पता लगाना है कि आदिवासियों की विकास के किन किन क्षेत्रों में स्थिति बेहतर हुई है. इसके अलावा आदिवासियों की स्थिति कुल मिलाकर क्या है, इसका अंदाज़ा भी लगाने की कोशिश होगी.
आदिवासी विकास सूचकांक तैयार करने का काम राज्य का ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट और आईआईटी रूड़की मिल कर करेंगे.
इस प्रोजेक्ट का ख़र्च केन्द्रीय जनजातीय मंत्रालय और राज्य का कल्याण विभाग मिल कर उठाएँगे. जानकारी के अनुसार यह प्रोजेक्ट आईआईटी रूड़की को अलॉट किया जा चुका है.
इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस स्टडी के बाद आदिवासियों की स्थिति को समझने में आसानी होगी. इसके साथ ही यह भी समझा जा सकेगा कि सरकार की योजनाएँ किस हद तक आदिवासियों तक पहुँच पाती हैं.
इस स्टडी में यह जानने की कोशिश भी की जाएगी कि क्या सरकार की योजनाओं से आदिवासी। समुदायों की स्थिति में कुछ बदलाव आया है.
प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी के अनुसार इस स्टडी में रेंडम सैंपलिंग की जाएगी. इसके साथ ही यूएनडीपी जिन मानकों पर मानव विकास इंडेक्स (Human Development Index) तैयार करता है, वो सभी मानक इस स्टडी में अपनाए जाएंगे.
मसलन आबादी में किस तरह का ट्रेंड है, सेहत की स्थिति क्या है और शिक्षा के मामले में समाज की स्थिति क्या है.
इसके अलावा आदिवासी समुदायों की जीविका या आमदनी का भी पता लगाने का प्रयास होगा. उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक यानि दिसंबर 2021 तक यह स्टडी पूरी हो जाएगी.
झारखंड में कुल 32 ट्राइबल समूह हैं इनमें से 8 आदिवासी समूहों को पीवीटीजी की श्रेणी में रखा गया है.