तमिलनाडु के तिरुपरतूर ज़िले के नरिकुरवर आदिवासी समुदाय के मतदाता जानते हैं कि उन्हें अपने चुने हुए विधायक से क्या चाहिए. इस बस्ती में क़रीब 1000 नरिकुरवर आदिवासी हैं, जिनमें से 260 मतदाता हैं. इनमें भी 46 पहली बार मतदान करने वाले थे.
इस समुदाय के सभी मतदाताओं ने चुनाव से एक हफ़्ता पहले एक मीटिंग की. इस मीटिंग में हर उम्मीदवार के वादों का विश्लेषण हुआ, और उसके बाद यह सामूहिक तौर पर यह फ़ैसला लिया गया कि किसे वोट देना है.
यह सभी मतदाता अंबूर निर्वाचन क्षेत्र के गांधी नगर में रहते हैं. वो मानते हैं कि वो राजनीति के बारे में भले ही ज़्यादा न जानते हों, लेकिन उन्हें यह पता है कि लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करना कितना ज़रूरी है.
यह लोग उम्मीद करते हैं कि उनके द्वारा चुने गए उम्मीदवार जीतेंगे और उनके क्षेत्र और ख़ासकर इस समुदाय के लिए अच्छा काम भी करेंगे.
कई दशकों से गांधी नगर में रह रहे इस समुदाय ने कभी भी अपना मताधिकार नहीं छोड़ा है. हर बार यह एक समूह के रूप में आते हैं. कुछ दशक पहले जब इनकी मांगें पूरी नहीं हो रही थीं, तब इन्होंने चुनावों का बहिष्कार करना चाहा था, लेकिन ऐसा नहीं किया.
इसका मतलब है कि यह अपने वोट की कीमत भी जानते हैं, और यह भी जानते हैं कि मताधिकार का इस्तेमाल करने से काफ़ी कुछ बदला जा सकता है.
यह आदिवासी समुदाय हर बार चुनाव से पहले बैठक करता है, और फ़ैसला लेता है कि वोट किसे दिया जाए.
इस बार इनकी मांगें बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी हैं. घर, पेयजल आपूर्ति, और ज़मीन के स्वामित्व से जुड़े मुद्दे इनकी सूची में सबसे ऊपर हैं. इसके अलावा अपने समुदाय के बच्चों, ख़ासतौर पर लड़कियों की शिक्षा पर भी यह ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं.