वायनाड वाइल्डलाइफ़ अभयारण्य के अंदर स्थित कुरिचियाड काट्टुनायका आदिवासी बस्ती के सदस्यों ने लोकतंत्र का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है. इस पीवीटीजी या आदिम जनजाति समूह के सभी मतदाताओं ने आज केरल के विधानसभा चुनाव में अपना वोट डाला.
इस बस्ती के अधिकांश आदिवासी भले ही अनपढ़ हों, लेकिन वो अपने वोट की कीमत जानते हैं. इस बार बस्ती की मतदाता सूची में शामिल 58 सदस्यों में से 57 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इनमें से एक महिला मतदाता कुछ साल पहले कर्नाटक चली गई थी, इसलिए उन्होंने वोट नहीं डाला.
बस्ती में माओवादी हमले की आशंका की वजह से सुरक्षा बढ़ा दी गई थी.
नूलपुझा ग्राम पंचायत के तहत आने वाली यह बस्ती निकटतम शहर चेतालयम से करीब नौ किलोमीटर दूर है. 2016 तक यहां 73 परिवार रहते थे, लेकिन सामान्य वर्ग के 32 परिवारों को केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की एक स्वैच्छिक पुनर्वास परियोजना के तहत स्थानांतरित कर दिया गया.
पहले तो आदिवासियों ने परियोजना को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, लेकिन उन्होंने भी बाद में इसे मान लिया. तीन साल पहले वल्लुवाड़ी और वडक्कनाड क्षेत्र में जंगल के बाहरी मैदानों में इन्हें 50 सेंट की भूमि दे दी गई.
लेकिन भूमि पंजीकरण प्रक्रिया पूरी न होने से परियोजना भी अधर में है.
बस्ती के 12 छात्र फ़िलहाल कल्लूर में राजीव गांधी मेमोरियल मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूल में पढ़ रहे थे, लेकिन कोविड महामारी के चलते उनकी पढ़ाई भी ठप है.