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केरल: बाघ के हमले में आदिवासी महिला की मौत, स्थानीय लोगों ने मंत्री को रोका

प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि पकड़ने के बाद जानवर को वापस जंगल में छोड़ने की प्रथा स्वीकार्य नहीं है. साथ ही पीड़ितों के लिए तत्काल मुआवजे की एक और मांग है.

केरल में मानव-पशु संघर्ष में कोई राहत नहीं मिल रही है. इस बीच वायनाड जिले के मनंतवाडी के पास कॉफी बीन्स इकट्ठा करने गई एक आदिवासी महिला की बाघ के हमले में मौत हो गई.

मृतक महिला की पहचान अस्थायी वन निरीक्षक अचप्पन की पत्नी राधा के रूप में हुई है.

शुक्रवार की सुबह राधा के पति ने उसे बाइक से एक शख्स के कॉफी एस्टेट जिसका नाम प्रियदर्शनी है, उसके पास मुख्य सड़क पर छोड़ दिया था.

राधा अपने कार्यस्थल पर चली गई और कॉफी बीन्स तोड़ने लगी. उसी समय बाघ ने राधा पर हमला कर दिया और उसे करीब सौ मीटर तक घसीटा गया. शव आधा खाया हुआ था.

मनंतवाडी पुलिस घटना की जांच कर रही है.

जिला पंचायत अध्यक्ष शमशाद मरक्कर ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में इलाके में बाघ की मौजूदगी की कोई रिपोर्ट नहीं थी. इसलिए यह घटना पूरी तरह से अप्रत्याशित थी.

मानव-पशु संघर्ष चिंता का मुद्दा

इस दुखद घटना ने जंगलों से सटे इलाकों में रहने वाले स्थानीय लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि केरल भर में मानव-पशु संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. आए दिन इस तरह के मामले देखने को मिल रहे हैं.

वन्यजीवों के हमले के बाद स्थानीय लोगों ने वन विभाग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

स्थिति का आकलन करने के लिए राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग मंत्री ओआर केलू ने घटनास्थल का दौरा किया. लेकिन उनके प्रति लोगों का गुस्सा और बढ़ गया, काफी प्रयास के बाद ही भीड़ शांत हुई.

इस बीच, जिला प्रशासन ने बाघ को गोली मारने की अनुमति दे दी है.

प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि पकड़ने के बाद जानवर को वापस जंगल में छोड़ने की प्रथा स्वीकार्य नहीं है. पीड़ितों के लिए तत्काल मुआवजे की एक और मांग है.

प्रदर्शनकारी समस्या के स्थायी समाधान की भी मांग कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इन मामलों पर निर्णय लिए बिना शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल को नहीं सौंपा जा सकता. शव फिलहाल प्रियदर्शिनी एस्टेट में है.

वहीं इस घटना से एक दिन पहले केरल विधानसभा में इस मुद्दे पर गरमागरम बहस हुई थी.

विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन ने इस मुद्दे को संभालने में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की “विफलता” के लिए आलोचना की. और कहा कि साल 2019-20 के दौरान मानव-पशु संघर्ष की संख्या जो 6 हज़ार 341 थी. वो साल 2023-24 के दौरान 9 हज़ार 838 मामलों तक बढ़ गई.

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