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मध्य प्रदेश: मेघनगर के कमला नेहरू गर्ल्स हॉस्टल में आदिवासी छात्राएं सुरक्षित नहीं!

आदिवासी छात्राओं के अस्थाई हॉस्टल में पीने के पानी की सप्लाई भी सुनिश्चित नहीं की गई है. छात्राओं को बाज़ार के नल से पानी ढोना पड़ता है. नियम के अनुसार अधीक्षक को हॉस्टल में ही रहना चाहिए. लेकिन अधीक्षक अस्थाई हॉस्टल में नहीं रहती हैं.

हाल ही में झाबुआ महाविद्यालय बालिका छात्रावास में एक छात्रा की आत्महत्या का मामला सामने आया था. 

इस घटना के बाद असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस निशा मेहरा ने छात्रावास के अधीक्षकों को सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करने के निर्देश दिए थे. लेकिन इसके बावजूद मेघनगर के छात्रावास की हालत में कोई सुधार नहीं देखा गया है.

मेघनगर के कमला नेहरू गर्ल्स हॉस्टल में पिछले एक साल से निर्माण कार्य चल रहा है. निर्माण कार्य के कारण छात्रावास एक अस्थायी हॉल में चलाया जा रहा है. 

छात्रावास की अधीक्षक जनपद पंचायत कार्यालय के सामने कर्मचारी क्वार्टर में अलग रहती है जबकि ये आदिवासी छात्राएं जनपद पंचायत के पीछे बने एक वाटर टैंक के नीचे स्थित एक जर्जर हॉल में रहती हैं. इस कारण आदिवासी छात्राओं की सुरक्षा को खतरा है.

इन छात्राओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. उन्हें पीने का पानी बाज़ार के नल से लाना पड़ता है. इतना ही नहीं कभी-कभी छात्राओं को अधीक्षक के घर भी पानी पहुंचाना पड़ता है. ये छात्राएं अधीक्षक के क्वार्टर की सफाई भी करती हैं. 

इस छात्रावास की छात्राओं का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें ये छात्राएं अपने सिर पर पानी के बर्तन ढोते हुए दिखाई दे रही हैं. 

इस वीडियो में साफ पता चलता है कि जहां हॉस्टल का संचालन हो रहा है वहां बुनियादी सुविधाओं की पूर्ति नहीं की जा रही है.

मेघनगर ब्लॉक के एजुकेशन ऑफिसर नारायण सिंह नायक ने चल रहे निर्माण कार्य के कारण छात्राओं और अधीक्षक की छात्रावास भवन से अलग रहने की बात स्वीकार की है. 

उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को मौजूदा स्थिति से अवगत करवाने का आश्वासन दिया है.

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