मध्य प्रदेश में आदिवासियों की जमीनों पर कब्जे और उनके शोषण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
हाल ही में ग्वालियर हाईकोर्ट में एक चौंकाने वाली घटना घटी. कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुछ दबंगों ने एक आदिवासी को जबरन बाहर ले जाने की कोशिश की.
यह देखकर जज हैरान रह गए. उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप किया और याचिकाकर्ता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश दिए.
यह मामला अशोकनगर ज़िले का है. आदिवासी व्यक्ति छोटेलाल ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका दायर कर अपनी पत्नी मुन्नीबाई को छुड़ाने की मांग की थी.
उसने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी को कुछ प्रभावशाली लोगों ने बंधक बना लिया है.
हालांकि, जब कोर्ट में मुन्नीबाई से पूछताछ की गई तो मामला और भी गंभीर निकला.
पत्नी ने खोला भू-माफिया का राज
मुन्नीबाई ने बताया कि वह किसी के कब्जे में नहीं है. वह अपने भाई के घर रह रही थी.
मुन्नीबाई ने बताया कि पूर्व सरपंच हरदीप रंधावा उसे ज़मीन बेचने के लिए कागज़ो पर दस्तख्त करने के लिए दबाव बना रहा था. इसलिए वे अपने भाई के घर चली गईं,
ये मामला अशोकनगर की ईसागढ़ तहसील के ग्राम अकलौन, बृजपुरा और कुलवर्ग में लगभग 4.87 हेक्टेयर जमीन से जुड़ा हुआ हैं, ये ज़मीन छोटेलाल की पत्नी मुन्नीबाई के नाम है.
उसने यह भी खुलासा किया कि उसका पति खुद भू-माफिया के कब्ज़े में बंधुआ मज़दूर है और जो ज़मीन उसके नाम है, उसे भी जबरन हड़पने की कोशिश की जा रही है.
मुन्नीबाई ने हाईकोर्ट को बताया कि दोनों पति-पत्नी कई सालों से भू माफिया हरदीप सिंह रंधावा के कब्जे में हैं.
पत्नी ने कहा कि पति छोटेलाल ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में रिश्तेदारों पर उसको कैद करने का आरोप लगाया लेकिन उनका पति खुद एक बंधुआ मजदूर है.
सुनवाई के दौरान पूर्व सरपंच रंधावा के साथी गौरव शर्मा और उसके पिता धर्मपाल शर्मा ने कोर्ट रूम में घुंसकर जबरदस्ती की.
उन्होंने छोटेलाल को जबरन बाहर ले जाने की कोशिश की.
हैरत में पड़े जज ने कहा जब अदालत के सामने ये हाल है तो आगे क्या होगा.
जज ने कड़ी नाराजगी जताई और तत्काल सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के निर्देश दिए.
हाईकोर्ट के सख्त निर्देश
घटनाक्रम से नाखुश होकर जस्टिस आनंद पाठक ने कहा कि, जब हमारे सामने ये हाल है तो फिर बाद में क्या होगा?
करीब आधे घंटे तक सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस आनंद पाठक व जस्टिस हिरदेश की डिवीज़न बेंच ने अशोकनगर कलेक्टर और एसपी को निर्देश दिया कि प्रकरण खत्म होने तक मुन्नीबाई के नाम से ज़मीन की बिक्री नहीं हो सकेगी.
गंभीर स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट की डबल बेंच ने अशोकनगर कलेक्टर और एसपी को सख्त निर्देश जारी किए. कोर्ट ने आदेश दिया कि छोटेलाल और उसकी पत्नी को तत्काल पुलिस सुरक्षा दी जाए.
इसके अलावा आदिवासियों की ज़मीनों की बिक्री पर रोक लगाने और पिछले 10 वर्षों में हुए सभी विवादित भूमि सौदों की जांच करने के निर्देश दिए गए. खासकर उन मामलों की समीक्षा करने को कहा गया जहां आदिवासी जमीनें प्रभावशाली लोगों को बेची गई हों.
उन्हें कोर्ट को दो सप्ताह में विस्तृत जांच रिपोर्ट देनी होंगी.
कोर्ट ने यह भी कहा कि जिले में बंधुआ मजदूरी के मामलों की गहन जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए.
इस मामले में एक और पहलू देखने को मिला है. सुनवाई के दौरान महज 4 घंटे मे अशोकनगर से छोटेलाल के ग्वालियर पहुंचने पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ग्वालियर से अशोकनगर 4घंटे में तभी आ सकते हैं, जब आपके पास लग्जरी कार हो. ऐसा लगता है जैसे छोटेलाल तो डमी है, केस कोई और लड़ रहा हैं.
यह घटना आदिवासियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर हो रहे हमलों को उजागर करती है. मध्य प्रदेश के कई जिलों में प्रभावशाली लोग आदिवासियों की जमीन हड़पने और उन्हें बंधुआ मजदूरी में धकेलने के आरोपों से घिरे हुए हैं.