टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने युवाओं और आदिवासी समुदाय के अन्य वर्गों से बाहरी ताकतों द्वारा किए जा रहे ‘विभाजन के प्रयासों’ को नाकाम करने की अपील की है.
त्रिपुरा में आदिवासी समुदाय की एकता को बनाए रखने की जरूरत है, ताकि वे अपने हक और अधिकारों के लिए मजबूती से खड़े रह सकें.
उन्होंने यूथ टिपरा फेडरेशन के पहले पूर्ण सत्र में कहा कि त्रिपुरा की अलग-अलग जनजातियों को बांटने की कोशिशें की जा रही हैं.
कुछ लोग रींग, त्रिपुरी और अन्य जनजातियों के नाम पर समुदाय में दरार डालने की योजना बना रहे हैं, लेकिन अगर हम एकजुट रहेंगे तो ही अपने अधिकारों को हासिल कर सकेंगे.
इतिहास से सबक लेकर भविष्य संवारने की ज़रूरत
प्रद्योत किशोर ने त्रिपुरा के इतिहास की चर्चा करते हुए बताया कि अतीत में राज्य ने कई बाहरी आक्रमणों का सामना किया लेकिन एकता की ताकत से अपनी पहचान और सम्मान को बनाए रखने में सफ़ल रहे. उन्होंने युवाओं से कहा कि अगर वे संगठित रहेंगे तो किसी भी षड्यंत्र को विफल कर सकते हैं.
उनका मानना है कि राजनीतिक विभाजन आदिवासी समुदाय को कमज़ोर कर सकता है. आने वाले 2028 के चुनावों में आदिवासी राजनीति को मज़बूत करने के लिए सभी को एक साथ आना होगा. अगर आदिवासी समुदाय कई अलग-अलग राजनीतिक दलों में बंट जाता है तो उनकी सामूहिक शक्ति कमजोर हो जाएगी और वे अपने अधिकारों और मांगों को प्रभावी तरीके से सरकार तक नहीं पहुंचा पाएंगे.
‘स्वतंत्र टिपरलैंड’ की मांग
उन्होंने कहा कि टिपरा मोथा पार्टी की प्राथमिक मांग ‘स्वतंत्र टिपरलैंड’ है लेकिन इसे हासिल करने के लिए सबसे पहले आदिवासियों को संगठित होकर अपने मुद्दों को मज़बूती से उठाना होगा.
उन्होंने इस संघर्ष की तुलना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और राम मंदिर निर्माण अभियान से करते हुए कहा कि हर बड़ी लड़ाई को जीतने में समय लगता है लेकिन दृढ़ संकल्प और एकता से कुछ भी संभव है.
आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा के लिए लड़ाई जारी रखने की ज़रूरत
उन्होंने कहा कि आदिवासियों को भ्रष्टाचार, भूमि अधिकारों और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जैसे मुद्दों के लिए लड़ाई जारी रखनी होगी.
त्रिपुरा का आदिवासी समुदाय राज्य की कुल जनसंख्या का एक-तिहाई हिस्सा है और राज्य के दो-तिहाई क्षेत्र का नेतृत्व जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद (TTAADC) करता है. टीटीएड़ीसी पर टिपरा मोथा का नियंत्रण है.
राजनीतिक समीकरण और भविष्य की रणनीति
राज्य विधानसभा में 60 सीटें हैं. इन 60 सीटों में से भाजपा 33 सीटों के साथ सत्ता में है. टिपरा मोथा के पास 13 सीटें हैं और वह बीजेपी का समर्थन कर रही है. वहीं विपक्ष में CPI(M) के 10, कांग्रेस के 3, IPFT के विधायक हैं.
प्रद्योत किशोर ने आदिवासी समुदाय को आगाह किया कि अगर वे राजनीतिक रूप से बंटे तो उनका नुकसान होगा, इसलिए आने वाले समय में सही रणनीति के साथ आगे बढ़ना जरूरी है. एकता ही आदिवासी समाज को उनके अधिकार दिला सकती है.
यह बयान आदिवासियों को एक राजनीतिक मंच पर एकजुट रहने की सलाह देने के लिए दिया गया है ताकि वे अपने हक और ‘स्वतंत्र टिपरलैंड’ जैसी मांगों को मज़बूती से रख सकें.