HomeAdivasi Dailyहाथी के हमलों में आदिवासियों की मौत की संख्या हैरान करने वाली

हाथी के हमलों में आदिवासियों की मौत की संख्या हैरान करने वाली

अरलम बस्ती के आदिवासियों का कहना है कि फार्म के अंदर करीब 30 हाथी डेरा डाले हुए हैं और हम दिन के समय भी अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.

आदिवासी लोग पारंपरिक रूप से जंगल में रहते हैं और उन्हें जंगली जानवरों के व्यवहार के बारे में अच्छी जानकारी होती है. हालांकि, हैरानी की बात यह है कि इस साल जंगली हाथियों द्वारा मारे गए 13 लोगों में से 11 आदिवासी समुदाय से हैं.

इनमें वे लोग भी शामिल थे जो नियमित रूप से जंगल से उपज इकट्ठा करते थे और जंगली जानवरों के आवास और उनकी गतिविधियों के लिए अच्छी तरह से अनुकूल थे.

इसके बावजूद आदिवासी लोगों में बड़ी संख्या में मौतें हैरान करने वाली हैं.

दरअसल, केरल के कन्नूर जिले के अरलम फार्म इलाके में रविवार शाम एक जंगली हाथी ने एक आदिवासी दंपति को कुचल कर माला डाला. इसके बाद से इलाके में तनाव पैदा हो गया है. क्योंकि इस तरह का यह पहला मामला नहीं है, हाल के दिनों में इस तरह की घटनाएं आम हो गई है.

सरकार ने मृतकों के परिवार को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की.

मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए उठाए गए कदमों का आकलन करने के लिए 27 फरवरी यानि आज सचिवालय में एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई.

वहीं अब इस मामले के तूल पकड़ने के बाद वरिष्ठ वन अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने आदिवासी बस्तियों में जागरूकता अभियान चलाए हैं और समुदाय के सदस्यों से सतर्क रहने और रात के समय जंगल में घूमने से बचने का आग्रह किया है.

वन विभाग ने जंगल के किनारों पर रैपिड रिसपॉन्स टीम (RRT) तैनात किए हैं और उनकी गश्त बढ़ा दी है. अधिकारियों का कहना है कि जंगल के अंदर निगरानी बढ़ाना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि बस्तियां फैली हुई हैं.

इसके अलावा अधिकारियों का कहना है कि शराब पीने और मोबाइल फोन के इस्तेमाल से जंगली जानवरों की मौजूदगी को समझने की संवेदनशीलता कम हो जाती है, जिससे मौतों में वृद्धि हुई है.

अधिकारियों ने निवासियों से आग्रह किया है कि वे शराब पीने या मोबाइल फोन से संगीत सुनते हुए रात के समय जंगल के इलाकों में न घूमें.

इस वर्ष जंगली हाथी के हमलों के शिकार लोग

. 4 जनवरी: मणि, 37, करुलाई, नीलांबुर, मलप्पुरम (आदिवासी)

. 8 जनवरी: विष्णु, 22, पुलपल्ली, वायनाड (आदिवासी)

. 15 जनवरी: सरोजिनी, 52, उचक्क्कुलम, नीलांबुर, मलप्पुरम (आदिवासी)

. 24 जनवरी: जमशीद, 37, देवरशोला, वायनाड

. 26 जनवरी: अन्नलक्ष्मी, 67, इडियार एस्टेट, त्रिशूर (आदिवासी)

. 6 फरवरी: विमल, 57, मरयूर, इडुक्की (आदिवासी)

. 10 फरवरी: बाबू, 54, वेंकोला, पालोड, तिरुवनंतपुरम (आदिवासी)

. 10 फरवरी: सोफिया इस्माइल, 45, पेरुवंतनम, इडुक्की

. 10 फरवरी: मनु, 45, नूलपुझा, वायनाड (आदिवासी)

. 12 फरवरी: बालन, 27, अट्टमाला, मेप्पडी, वायनाड (आदिवासी)

. 19 फरवरी: प्रभाकरण, 58, थमारवेल्लीचल, पीची, त्रिशूर (आदिवासी)

. 23 फरवरी: वेल्ली, 80, अरलम फार्म, कन्नूर (आदिवासी)

. 23 फरवरी: लीला, 72, अरलम फार्म, कन्नूर (आदिवासी)

बर्बाद हो चुकी आदिवासी भूमि

2014 से अरलम फार्म में हाथियों के हमलों में 16 आदिवासी मारे जा चुके हैं. रविवार को इस क्षेत्र में एक बुजुर्ग दंपति को हाथी ने कुचलकर मार दिया.

वन विभाग ने हाथियों के आवास के रूप में अरलम के महत्व का हवाला देते हुए वहां आदिवासियों के पुनर्वास की योजना का कड़ा विरोध किया था.

हालांकि, राजनीतिक नेतृत्व ने विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया और योजना को आगे बढ़ा दिया.

अरलम फार्म में 3,502 परिवारों को एक-एक एकड़ जमीन आवंटित की गई थी लेकिन 10 साल बाद, केवल 1,200 परिवार ही बचे हैं. हाथियों के लगातार हमलों के बाद अधिकांश परिवार इस क्षेत्र से भाग गए.

अरलम वन्यजीव अभयारण्य कर्नाटक के कोडागु जिले में स्थित ब्रह्मगिरी वन्यजीव अभयारण्य के साथ अपनी सीमा साझा करता है.

एक किसान का कहना है कि ब्रह्मगिरी से भगाए गए हाथी अरलम में शरण लेते हैं. क्योंकि भूभाग समतल है और भोजन प्रचुर मात्रा में है इसलिए हाथियों ने इसे अपना निवास स्थान बना लिया है. यह तर्क गलत है कि अरलम हाथियों का निवास स्थान है. साल 2013 से पहले इस क्षेत्र में कोई हाथी नहीं था.

वहीं गोत्र महासभा के नेता सी के जानू ने कहा, “आदिवासी जंगल में बहुत सावधानी से चलते हैं और हमारे पास जंगली जानवरों की उपस्थिति और व्यवहार को समझने का पारंपरिक ज्ञान है. वन अधिकारी जंगली हाथियों को जंगल में वापस खदेड़ने में अपनी विफलता के लिए बेबुनियाद बहाने बना रहे हैं. वे आदिवासियों के जीवन का सम्मान नहीं करते. सरकार ने हाथी के हमले के शिकार लोगों के रिश्तेदारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है लेकिन किसी भी परिवार को आधी राशि भी नहीं मिली है.”

आदिवासी कल्याण मंत्री ओ आर केलू के कार्यालय ने कहा कि अरलम फार्म की सीमा के साथ 10.5 किलोमीटर लंबी हाथी सुरक्षा दीवार के निर्माण में तेजी लाने के लिए कदम उठाए गए हैं.

एक अधिकारी ने कहा कि हम 31 मार्च तक संरचना को पूरा करने की योजना बना रहे हैं. उसके बाद हम हाथियों को वापस जंगल में खदेड़ देंगे.

अरलम बस्ती के आदिवासियों का कहना है कि फार्म के अंदर करीब 30 हाथी डेरा डाले हुए हैं और हम दिन के समय भी अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.

अरलम फार्म में तत्काल उपाय करने की मांग

केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें राज्य सरकार को मानव-आबादी वाले अरलम फार्म क्षेत्र से जंगली हाथियों को तुरंत बाहर निकालने और तत्काल आधार पर बिजली की बाड़ लगाने और खाई खोदने सहित अस्थायी रक्षात्मक तंत्र को मजबूत करने का निर्देश देने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ता, वायनाड के बैजू पॉल मैथ्यूज ने कहा कि उन्होंने कन्नूर के अरलम फार्म में हाथियों के कई घातक और गैर-घातक हमलों के जवाब में याचिका दायर की है. जिसमें 23 फरवरी को हुई दुखद घटना भी शामिल है, जिसमें आदिवासी दंपत्ति की जान चली गई थी.

एक मजबूत बाड़ बनाने और प्रभावी हाथी-निरोधक उपायों को लागू करने के सार्वजनिक आश्वासन और आधिकारिक निर्णयों के बावजूद ये अधूरे हैं या खराब तरीके से लागू किए गए हैं.

याचिकाकर्ता के मुताबिक, 2014 से कुल 20 मौतें हुई हैं, मुख्य रूप से हाथियों के हमलों के कारण.

रिपोर्ट बताती है कि 50 से अधिक हाथी फार्म यानि बस्ती क्षेत्र में हैं, जो जान और संपत्ति के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं.

याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार को यह निर्देश देने की भी मांग की कि जब तक बाड़बंदी और अन्य सुरक्षात्मक उपाय प्रभावी रूप से लागू नहीं हो जाते, तब तक आदिवासी परिवारों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments