एक आदिवासी छात्रा को बड़ी राहत देते हुए, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने निर्देश दिया है कि उसे NEET के अंतिम चरण की काउंसलिंग के लिए फिर से पंजीकरण करने की अनुमति दी जाए.
दरअसल, छात्रा ने काउंसलिंग के लिए गलत श्रेणी में फॉर्म भर दिया था, जिसके चलते उसका फॉर्म खारिज कर दिया गया था.
बड़वानी जिले की 19 साल की पूर्वा बाल्के द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार करते हुए, जस्टिस विवेक रूस और राजेंद्र कुमार वर्मा की बेंच ने निर्देश दिया कि पूर्वा को NEET काउंसलिंग के अंतिम चरण के लिए फिर से रजिस्टर करने का मौका दिया जाए.
पीठ ने अपने फैसले में कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि याचिकाकर्ता, जो एक दूरदराज की आदिवासी इलाके की एसटी श्रेणी की छात्रा है और जिसने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की और अच्छी रैंक के साथ नीट परीक्षा पास की, ने अनजाने में गलत श्रेणी में अपना आवेदन जमा कर दिया. उसने फॉर्म को लास्ट डेट से पहले सही भी नहीं किया.”
पूर्वा ने गलती से एनआरआई श्रेणी के तहत फॉर्म जमा कर दिया था.
“एक खास मामले के रूप में, उस के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, हम निर्देश दे रहे हैं कि याचिकाकर्ता को फिर से रजिस्ट्रेशन द्वारा काउंसलिंग के अंतिम दौर में भाग लेने की अनुमति दी जाए. इसे एक मिसाल नहीं माना जाएगा,” अदालत ने कहा.
याचिका के अनुसार, आदिवासी छात्रा ने NEET-2021 परीक्षा लिखी थी, और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत उन्हें 4,540 रैंक मिली थी, जबकि उसकी ऑल इंडिया रैंक 2,24,236 थी.