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मणिपुर के कुकी-ज़ो क्षेत्रों में मुक्त आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी: आदिवासी संगठन

जनजातीय संगठन द्वारा यह कदम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सुरक्षा एजेंसियों को 8 मार्च से मणिपुर में सभी सड़कों पर लोगों के लिए मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के निर्देश के बाद लिया गया है.

मणिपुर में एक जनजातीय संगठन ने मैतेई बहुल इंफाल घाटी को देश से जोड़ने वाली सभी सड़कों पर आवाजाही को सुगम बनाने के केंद्र के प्रयास को चुनौती देने का फैसला किया है.

इंफाल घाटी के आसपास की पहाड़ियों से दो मुख्य राजमार्ग और लगभग सभी अन्य सड़कें गुजरती हैं. इन पहाड़ियों पर कुकी-ज़ो लोगों का निवास है, जो मई 2023 से गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय के साथ चल रहे संघर्ष में फंसे हुए हैं.

दरअसल, 1 मार्च को मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से कानून-व्यवस्था की स्थिति पर पहली उच्च स्तरीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने निर्देश दिया कि 8 मार्च से राज्य की सभी सड़कों पर मुक्त आवाजाही सुनिश्चित की जाए.

उन्होंने अवरोध पैदा करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी मांग की.

वहीं जनजातीय एकता समिति (COTU) ने कुकी-ज़ो लोगों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग पूरी होने तक मुक्त आवागमन की अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया.

COTU ने कहा कि कुकी-जो इलाकों में तब तक मुक्त आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक समुदाय की आकांक्षाओं का सम्मान करने वाला कोई समाधान नहीं निकल जाता.

3 मार्च को कांगपोकपी जिले के फैजांग गांव कब्रिस्तान में आयोजित एक कार्यक्रम में सीओटीयू के महासचिव लामिलुन सिंगसिट ने कहा कि कुकी-ज़ो समुदाय तब तक न तो चैन से बैठेंगे और न ही आत्मसमर्पण करेंगे, जब तक किसी भी कीमत पर अलग प्रशासन हासिल नहीं हो जाता.

उन्होंने कहा, “अलग प्रशासन के लिए लड़ाई लगातार जारी रहेगी. हम हर लोकतांत्रिक तरीके से लामबंद होंगे, विरोध करेंगे और प्रतिरोध करेंगे.”

सीओटीयू नेता ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से “अलग प्रशासन” के खिलाफ अपने बयान को वापस लेने के लिए भी कहा.

उन्होंने यह भी कहा कि गवर्नर की मैतेई कट्टरपंथी समूह अरम्बाई टेंगोल (Arambai Tenggol) के सदस्यों के साथ बैठक कुकी-ज़ो लोगों के भाग्य का निर्धारण नहीं करती है.

इसके अलावा, इसने कुकी-ज़ो स्वयंसेवकों की गिरफ्तारी के खिलाफ चेतावनी दी.

जनजातीय समूह ने यह भी कहा कि कुकी-जो लोगों के प्रभुत्व वाले जिलों के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक “ग्राम स्वयंसेवकों” की गिरफ्तारी के बाद होने वाली “किसी भी अप्रिय घटना” के लिए जिम्मेदार होंगे.

एक बयान में COTU ने आदिवासी सदस्यों को अपने उद्देश्य के साथ विश्वासघात करने के खिलाफ चेतावनी दी.

जिसमें कहा गया कि अगर कोई भी व्यक्ति सामूहिक कारणों पर व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता देता है या सरकार के साथ जुड़ता है तो उसे देशद्रोही माना जाएगा.

संगठन ने कहा कि अगर सरकार कुकी-ज़ो राजनीतिक मुद्दे को संबोधित किए बिना शांति स्थापित करती है, तो सत्तारूढ़ सरकार का पूर्ण और अपरिवर्तनीय बहिष्कार लागू किया जाएगा.

वहीं राज्य की राजधानी इंफाल में एक अधिकारी ने कहा कि सरकार राजमार्गों पर माल और लोगों की मुक्त आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा, “मणिपुर में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों में बाधा डालने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन से सख्ती से निपटा जाएगा.”

मई 2023 में पूर्वोत्तर राज्य में पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से ही मणिपुर गहराई से विभाजित रहा है, जिसमें कुकी पहाड़ियों में और मैतेई घाटी में केंद्रित हैं. घाटी, जहां हवाई अड्डा, प्रमुख अस्पताल, स्कूल और कॉलेज स्थित हैं, कुकी के लिए पूरी तरह से दुर्गम है और मैतेई पहाड़ियों की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं.

जातीय हिंसा ने अब तक कम से कम 250 लोगों की जान ले ली है और 50 हज़ार से अधिक लोगों ने पलायन किया है.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफा के बाद से 9 फरवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है.

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