केरल में लगभग 70 आदिवासी बस्तियों में बिजली आपूर्ति के लिए माइक्रोग्रिड की तलाश चल रही है. इन बस्तियों के दुर्गम होने की वजह से इन्हें केरल राज्य विद्युत बोर्ड के वितरण नेटवर्क से जोड़ना मुश्किल हो जाता है.
इन बस्तियों के विद्युतीकरण के लिए अक्षय ऊर्जा-संचालित माइक्रोग्रिड स्थापित करने का काम 2022-23 के वित्तीय वर्ष में शुरू किया जाएगा. उम्मीद है कि अगले दो-तीन सालों में यह योजना लागू हो पाएगी.
एजेंसी फॉर न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी (ANERT) को चुनी हुई बस्तियों में हाइब्रिड/स्टैंडअलोन सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना का काम सौंपा गया है. यह सभी बस्तियां जंगलों के अंदर बसी हैं. जहां भी संभव होगा, छोटे विंड टरबाइन सौर इकाइयों के साथ लगाए जाएंगे.
जैसा कि नाम से साफ होता है, माइक्रोग्रिड स्वतंत्र प्रणालियाँ हैं जो एक खास इलाके की बिजली की जरूरतों को पूरा करती हैं. सौर और पवन ऊर्जा मॉड्यूल के अलावा, ग्रिड में बैटरी स्टोरेज प्रणाली भी शामिल है. परियोजना के लिए पहचानी गई अधिकांश बस्तियां इडुक्की, वायनाड और पालक्काड जिलों में हैं. एर्नाकुलम और पतनमतिट्टा जिलों की कई दूरदराज की बस्तियां भी सूची में शामिल हैं.
बिजली विभाग ने पिछले साल ऐसी दुर्गम बस्तियों के विद्युतीकरण के लिए योजनाओं की घोषणा की थी, जिनमें बिजली की आपूर्ति नहीं थी. ANERT ने पालक्काड और वायनाड में दो आदिवासी बस्तियों के लिए माइक्रोग्रिड पर काम शुरू किया था. यह काम जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है.
”हमने एर्नाकुलम जिले की पांच बस्तियों में भी सर्वेक्षण पूरा कर लिया है. ऊर्जा स्रोत और साइट को अंतिम रूप देने के लिए बाकी जगहों में सर्वेक्षण किए जाने की जरूरत है. मसलन, अगर घरों की छतों पर सोलर पैनल नहीं लगाए जा सकते l, तो हमें उन्हें जमीन पर लगाना पड़ सकता है. लेकिन मानव-वन्यजीव संघर्ष वाले क्षेत्रों में यह शायद संभव न हो,” ANERT के सीईओ नरेंद्र नाथ वेलुरी ने एक अखबार को बताया.
Promotion of Renewable Energy Systems के तहत, 2022-23 के राज्य बजट में हाइब्रिड संयंत्रों को स्थापित करने के लिए ANERT के लिए 3 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं. योजना के अनुसार, माइक्रोग्रिड का प्रस्ताव उन जगहों के लिए है जहां ग्रिड की विफलता ज्यादा होती है, और उन इलाकों में भी जहां निवासियों के रहने की स्थिति में सुधार के लिए सोलर होम-लाइटिंग सिस्टम (HLS) दिए गए थे.
2022-23 के बजट में रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए 10.06 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं, जिसमें माइक्रोग्रिड परियोजना के साथ-साथ सोलर पंप, सोलराइजिंग बोट्स और पुश-कार्ट जैसी नई पायलट पहल शामिल हैं.