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NCST ने जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में पहाड़ी समुदाय को शामिल करने के प्रस्ताव का समर्थन किया

पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने का सुझाव केंद्र शासित प्रदेश में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए गठित आयोग से आया था, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी डी शर्मा ने की थी.

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की अनुसूचित जनजाति सूची में ‘पहाड़ी जातीय समूह’ को शामिल करने का रास्ता साफ कर दिया है. आयोग द्वारा हरी झंडी दिखाने वाले प्रस्ताव में पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण समुदायों को जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में शामिल करने का आह्वान भी किया गया.

एनसीएसटी की यह स्वीकृति केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राजौरी में एक सार्वजनिक संबोधन में घोषणा करने के एक महीने के भीतर आता है कि पहाड़ी समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाएगा.

शाह के संबोधन के तुरंत बाद 7 अक्टूबर को केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने एसटी आयोग को एक पत्र भेजा, जिसमें इन चार समुदायों को जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर उनकी राय और विचार मांगे गए. सरकारी सूत्रों ने बताया कि आयोग की कई बैठकों के बाद पैनल ने 20 अक्टूबर की अपनी बैठक में इन्हें शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

आयोग ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय से प्राप्त प्रस्ताव की जांच की है. आयोग भारत के रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General of India) के कार्यालय की सिफारिश के आधार पर प्रस्ताव का समर्थन करता है.

पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने का सुझाव केंद्र शासित प्रदेश में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए गठित आयोग से आया था, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी डी शर्मा ने की थी.

नवगठित केंद्र शासित प्रदेश का परिसीमन हो चुका है और भारत का चुनाव आयोग जल्द ही वहां चुनाव कराने की सोच रहा है. वहीं पीर पंजाल घाटी के राजौरी में जहां अधिकांश पहाड़ी रहते हैं वहां 4 अक्टूबर को एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने वादा किया था कि उनकी सरकार जस्टिस शर्मा आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए काम कर रही है.

परिसीमन आयोग ने पीर पंजाल घाटी में नौ विधानसभा क्षेत्रों में से छह को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया है.

पीर पंजाल घाटी गुर्जरों और बकरवालों का भी घर है जो पहले से ही अनुसूचित सूची शामिल है. लेकिन उन्होंने एसटी सूची में पहाड़ियों को शामिल करने की संभावना पर नाराजगी व्यक्त की है. हालांकि, पहाड़ियों को एसटी का दर्जा देने का वादा करते हुए, शाह ने यह भी कसम खाई थी कि सरकार क्षेत्र में गुर्जरों और बकरवालों को मिलने वाले लाभों के हिस्से को कम नहीं करेगी और तीनों समुदायों का समर्थन मांगा था.

एसटी सूची में नए समुदायों को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों के अनुसार अगर एक बार एनसीएसटी और आरजीआई के कार्यालय ने सूची में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, तो उसके बाद प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा.

इसके बाद जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में जोड़ने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय को संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश, 1989 में तदनुसार संशोधन करने के लिए संसद में एक विधेयक लाने की आवश्यकता होगी.

इसके बाद भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 द्वारा अधिकारित संशोधित अनुसूची को अधिसूचित करने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा.

वर्तमान में, जम्मू और कश्मीर में 12 समुदाय हैं जिन्हें एसटी के रूप में अधिसूचित किया गया है.

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