HomeAdivasi Dailyविशाखापत्तनम की करीब 1000 आदिवासी बस्तियों तक सड़क भी नहीं जाती

विशाखापत्तनम की करीब 1000 आदिवासी बस्तियों तक सड़क भी नहीं जाती

आवास सर्वेक्षण से पता चला कि 11 आदिवासी मंडलों में 70 फीसदी आदिवासी बस्तियों में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है. वहीं 84 फीसदी बस्तियों में इंटरनेट की पहुंच नहीं है. आदिवासी समुदायों के बारे में नवीनतम जानकारी एकत्र करने के लिए आवास सर्वेक्षण किया गया था.

बहुत बार हमें आदिवासी बस्तियों से ऐसी कहानियां सुनने को मिलती हैं. जिनमें लोगों को सड़कों से संपर्क न होने के चलते बीमार मरीजों और गर्भवती महिलाओं को कई किलोमीटर तक पैदल ले जाने के लिए मजबूर किया जाता है ताकि वे निकटतम स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंच सकें.

विशाखापत्तनम के 11 आदिवासी मंडलों में एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी द्वारा हाल ही में किए गए एक आवास सर्वेक्षण में 978 बस्तियों को ‘डोली बस्तियों’ के रूप में पहचाना गया है. यह जनजातीय क्षेत्रों में कुल बस्तियों का 26 फीसदी है.

इन क्षेत्रों के लोग लकड़ी के खंभे और बंधे कपड़े से बने ‘डोली’ नामक अस्थायी स्ट्रेचर में मरीजों को ले जाने के लिए मजबूर हैं. कई किलोमीटर दूर तक कोई अस्पताल नहीं होने और उचित सड़क संपर्क न होने के कारण, एम्बुलेंस अक्सर जनजातीय क्षेत्र के आंतरिक हिस्सों तक पहुचने में असमर्थ होती हैं.

आवास सर्वेक्षण से पता चला कि 11 आदिवासी मंडलों में 70 फीसदी आदिवासी बस्तियों में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है. वहीं 84 फीसदी बस्तियों में इंटरनेट की पहुंच नहीं है.

आदिवासी समुदायों के बारे में नवीनतम जानकारी एकत्र करने के लिए आवास सर्वेक्षण किया गया था. द न्यूज मिनट से बात करते हुए एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी परियोजना अधिकारी, गोपालकृष्ण रोनांकी ने कहा कि यह जरूरी है कि जानकारी के लिए आदतन सर्वेक्षण किया जाए.

गोपालकृष्ण रोनांकी ने कहा, “क्योंकि पिछली जनगणना के बाद से यह बहुत लंबा वक्त रहा है कि हमारे पास नवीनतम डेटा नहीं था. हमें अपनी गतिविधियों, कल्याण और विकास परियोजनाओं की योजना बनाने के लिए डेटा की आवश्यकता है. आदतन सर्वेक्षण ITDA के कर्मचारियों द्वारा किया गया और इसमें लगभग तीन महीने लगे. अब हमारे पास वे सभी डेटा हैं जिनकी हमें आवश्यकता है और सर्वेक्षण से दिलचस्प विवरण सामने आए हैं.”

आदिवासी जनसंख्या

11 मंडलों में कुल जनसंख्या 6.59 लाख है. आदिवासी आबादी में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक है. 11 जिलों में 3.23 लाख पुरुष हैं जबकि महिलाओं की आबादी 3.35 लाख है.

परियोजना अधिकारी ने समझाया, “पहाड़ी इलाकों में प्रवृत्ति हमेशा ऐसी रही है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक है. 2011 की जनगणना में सामने आए आंकड़ों में भी ऐसा ही था. दरअसल आदिवासी समुदाय लड़के और लड़की के बीच अंतर नहीं करते हैं इसलिए उनके समुदायों में कोई कन्या भ्रूण हत्या नहीं है.”

सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि 11 मंडलों में अनुसूचित जनजाति आबादी का 28 फीसदी विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) से संबंधित था.

बुनियादी ढांचा और सड़क संपर्क

886 बस्तियों में कच्ची सड़कें थीं. कुल बस्तियों में से 569 बस्तियों में सड़क संपर्क बिल्कुल नहीं था. यह लगभग 3,700 किलोमीटर का है जहां कोई सड़क संपर्क नहीं है. कुल बस्तियों के लगभग 4 फीसदी में बिजली नहीं थी जबकि 10 फीसदी बस्तियों में पीने के पानी का स्रोत भी नहीं था. 87 फीसदी आदिवासी बस्तियों की सड़क परिवहन निगम की बस सेवा तक पहुंच नहीं थी.

केंद्र सरकार की परियोजना

एक महीने से भी कम समय पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के 44 आदिवासी जिलों में सड़कों के निर्माण और मोबाइल कनेक्टिविटी में सुधार के लिए 33,822 करोड़ रुपये जारी करने को मंजूरी दी थी.

दोनों परियोजनाओं से आदिवासी जिलों में लगभग 1.4 लाख किलोमीटर सड़कें और 2,500 से अधिक पुल बनाने में मदद मिलेगी और 4G सक्षम मोबाइल फोन टावर भी स्थापित होंगे. केंद्र सरकार की परियोजना के हिस्से के रूप में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा में दूरसंचार कनेक्टिविटी के काम किए जाएंगे. सरकार ने इस परियोजना के लिए 2022 की समय सीमा निर्धारित की है.

(यह लेख The News Minute में छपा है)

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