राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने गुरुवार को केरल के तिरुवनंतपुरम के बाहरी इलाकों में बसे आदिवासी लोगों में आत्महत्याओं में वृद्धि के बारे में एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया. मीडिया रिपोर्ट में साल 2024 में ही 23 मौतें होने की सूचना है.
आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. साथ ही राज्य के अधिकारियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है.
आयोग ने एक बयान में कहा कि मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 2011-2022 के बीच जिले के पेरिंगमला पंचायत में कम से कम 138 आत्महत्याएं हुईं.
एनएचसीआर ने अपने बयान में कहा, “आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट अगर सच है तो वह केरल के विशेष क्षेत्र में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों के लोगों के जीवन के अधिकार, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों से संबंधित एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा करती है.”
आयोग ने आगे कहा, “समाज के कमज़ोर वर्ग के युवाओं द्वारा आत्महत्या करना वास्तव में मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ा मुद्दा है. जिस पर सरकारी एजेंसियों को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. राज्य अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है.”
आयोग ने केरल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर अगले दो सप्ताह के भीतर मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
आयोग ने कहा, “इस व्यापक रिपोर्ट में इन मुद्दों पर दर्ज की गई एफआईआर की स्थिति और अपराधियों की गिरफ़्तारी की स्थिति शामिल होने की उम्मीद है. आयोग यह भी जानना चाहेगा कि मृतक व्यक्तियों के परिजनों को दिए गए मुआवज़े की स्थिति क्या है, अगर कोई है. राज्य सरकार से यह भी अपेक्षित है कि वह ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताए.”
आयोग ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मरने वालों में से ज़्यादातर 20-30 साल के थे.
उनके परिवारों और आदिवासी कार्यकर्ताओं के मुताबिक, बहुत ज्यादा सामाजिक परिदृश्यों के कारण भारी तनाव, समुदाय के बाहर विवाह और रिश्तों के कारण दबाव और उत्पीड़न, साथ ही बढ़ते शराब के धंधे, मौतों के कारण हैं.
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष यानि साल 2024 में अकेले इस जिले में 23 आदिवासी `निवासियों ने अपनी जान दे दी, जिनमें से पांच कम उम्र की महिलाएं थीं.