मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) ने बुधवार को कहा कि जातीय हिंसा में उलझे राज्य को सिर्फ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ही बचा सकती है क्योंकि वह “एक साथ रहने के विचार” में विश्वास करती है.
न्यूज एजेंसी PTI ने सिंह के हवाले से कहा, “सिर्फ भाजपा ही मणिपुर को बचा सकती है…भाजपा नेताओं में राष्ट्रवाद और सामाजिक न्याय की भावना बहुत अधिक है. वे राष्ट्र के हित में वास्तविकता पर आधारित राजनीति करते हैं…अगर मुझे भाजपा द्वारा टिकट नहीं दिया जाता है तो भी मैं पार्टी के साथ ही रहूंगा.”
मणिपुर के भाजपा मुख्यालय में सुशासन दिवस कार्यक्रम में बोलते हुए सिंह ने कहा कि पहाड़ी राज्य को तत्काल शांति की आवश्यकता है और उन्होंने दोनों समुदायों (कुकी और मैतेई) से समझौता करने का आग्रह किया.
पिछले साल मई महीने से मणिपुर में मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जारी जातीय हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं.
सिंह ने कहा, “आज मणिपुर में जो कुछ हो रहा है, उसके कई कारण हैं. आज, जो लोग राज्य को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, वे पूछ रहे हैं कि सरकार क्या कर रही है…वे सत्ता के भूखे हैं.”
मणिपुर के मुख्यमंत्री ने लोगों और अधिकारियों के बीच की दूरी को कम करने के लिए अपनाए जा रहे ‘मीयामगी नुमित’ (पीपुल्स डे) जैसे कई उपायों पर भी प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा, “हम किसी खास समुदाय के खिलाफ नहीं हैं. भाजपा का रुख स्पष्ट है. हम साथ रहने के विचार में विश्वास करते हैं. हमने पुलिस और लोगों के बीच संबंध बनाने शुरू कर दिए हैं.”
बीरेन सिंह ने यह भी कहा कि उनकी सरकार आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कई स्तरों पर समितियां गठित की हैं और दावा किया कि प्रशासन शिक्षा और कृषि में विस्थापित लोगों के लिए तत्काल समाधान की सुविधा प्रदान कर रहा है.
उन्होंने कहा, “हमने कभी कोई गलत काम नहीं किया. हम सिर्फ भावी पीढ़ियों को बचाना चाहते थे. दोनों समुदायों को शांत रहने की जरूरत है. अतीत को देखने के बजाय, हमें आगामी एनआरसी प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, बायोमेट्रिक्स को कैप्चर करना और इनर लाइन परमिट के आधार वर्ष के रूप में 1961 को शामिल करना. हम लोकतांत्रिक और संवैधानिक रूप से अपना काम जारी रखेंगे. इसमें समय लगेगा.”
सिंह ने कहा कि हमें अब तत्काल शांति की जरूरत है और दोनों समुदायों के बीच समझ पर पहुंचना है, जिन्होंने एक-दूसरे को गलत समझा है.
साल 2023 के मई महीने में मणिपुर में हिंसा भड़की थी और तब से लेकर अब तक गतिरोध की स्थिति बनी हुई है.
राज्य सरकार के मुताबिक, हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा राज्य की एक बड़ी आबादी विस्थापित हो चुकी है.