ओडिशा के कंधमाल जिले के एक दूरदराज के गांव के 19 वर्षीय आदिवासी छात्र ने किताबें उधार लेकर और इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए महीनों तक रोजाना अपने गांव से तीन किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर जाकर पढ़ाई की और अपने पहले ही प्रयास में मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET में सफलता हासिल की.
कड़ी मेहनत और डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने की कोशिशों से सनातन प्रधान की यात्रा ने न सिर्फ उनके परिवार को गौरवान्वित किया है बल्कि उस क्षेत्र में उम्मीद भी जगाई है, जहां अवसर बहुत कम हैं.
सनातन के पिता कनेश्वर प्रधान आदिवासी बहुल कंधमाल जिले के सुदूर इलाके में बसे ताड़ीमाहा गांव में एक छोटे किसान हैं.
कंधा जनजाति से ताल्लुक रखने वाले सनातन ने बिना किसी औपचारिक कोचिंग के अपने पहले प्रयास में ही NEET पास कर लिया और अब वह यहां सरकार द्वारा संचालित एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वाले हैं.
दारिंगबाड़ी के सरकारी स्कूल से 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद सनातन 12वीं की पढ़ाई के लिए बरहामपुर के खलीकोट जूनियर कॉलेज चले गए. 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे नीट की तैयारी के लिए फिर से अपने गांव लौट आए.
क्योंकि उनके गांव में इंटरनेट सेवा उपलब्ध नहीं है इसलिए वे इंटरनेट का इस्तेमाल करने और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए रोजाना तीन से चार किलोमीटर की यात्रा करके पहाड़ी इलाकों पर चढ़ते थे.
19 वर्षीय सनातन ने कहा, “हर दिन पहाड़ी इलाकों में जाना और पूरा दिन पहाड़ पर बिताना बहुत मुश्किल है. नीट परीक्षा से दो महीने पहले मैं फिर से परीक्षा की तैयारी के लिए बरहामपुर आया. जिसके बाद मैंने तैयारी ऑनलाइन और दोस्तों से कुछ किताबें उधार लेकर की.”
उन्होंने कहा, “हालांकि मुझे राज्य के मेडिकल कॉलेज में सीट मिलने का भरोसा था लेकिन यहां एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज में सीट मिलना मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था.”
उन्होंने आगे कहा, “मैं ईमानदारी से पढ़ाई करूंगा और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों की सेवा करने के लिए डॉक्टर बनूंगा, जहां चिकित्सा सुविधा दुर्लभ है.”
सनातन ने कहा कि उन्होंने अपनी सीट पक्की करने के लिए उधार लेकर पैसे जमा कर दिए हैं.
वहीं सनातन के पिता कनेश्वर ने कहा कि अब कई बैंकर हमारे पास आ रहे हैं और स्टूडेंट लोन का ऑफर दे रहे हैं. लेकिन हम सरकार से सनातन की मेडिकल पढ़ाई के लिए वित्तीय मदद का अनुरोध करेंगे.