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ओडिशा: आदिवासी छात्रों के ड्रॉपआउट को कम करने के लिए सीएम ने शुरू की योजना

5 जनवरी से शुरू हुआ आदिवासी मेला 16 जनवरी तक चलेगा. मेले में आदिवासी कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए कई स्टॉल हैं. साथ ही एक फूड कोर्ट भी है जहां पारंपरिक आदिवासी व्यंजन का लुत्फ उठा सकते हैं.

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने रविवार को भुवनेश्वर में वार्षिक ‘आदिवासी मेले’ का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने आदिवासी छात्रों के स्कूली पढ़ाई अधूरी छोड़ने की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से ‘शहीद माधो सिंह हाथ खर्चा योजना’ की शुरुआत की.

इस योजना के तहत सरकार राज्य भर के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 9वीं और 11वीं कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक आदिवासी छात्र को 5 हज़ार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी.

‘शहीद माधो सिंह हाथ खर्चा योजना’ की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री ने रविवार को 1.6 लाख आदिवासी छात्रों को 80 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता ट्रांसफर की.

सीएम माझी ने कहा, ‘यह देखा गया है कि कई आदिवासी छात्र अपने परिवार के लिए रोजीरोटी कमाने और माता-पिता की मदद करने के लिए पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं. इसलिए आदिवासी छात्रों की पढ़ाई छोड़ने की समस्या को दूर करने के लिए सरकार नई योजना शुरू कर रही है.’

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर साल लगभग दो लाख आदिवासी छात्रों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करेगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा की एक-चौथाई आबादी आदिवासी है, इसलिए स्थानीय लोगों के विकास के बिना राज्य का विकास नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी आदिवासी हर सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में स्वास्थ्य, शिक्षा, कमाई और आजीविका सूचकांकों में सबसे पिछड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि नई सरकार आदिवासियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध है.

विकास परिषदों के साथ क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करेगी सरकार

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए, खासकर ओडिशा के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में, जहां बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं, सरकार ने दोनों क्षेत्रों के लिए विकास परिषद बनाने का फैसला किया है.

माझी ने आरोप लगाया कि बीजद सरकार ने आदिवासी जमीन को गैर-आदिवासियों को सौंपने का फैसला किया था, जिसका राज्य विधानसभा में स्थानीय लोगों और तत्कालीन विपक्षी दलों ने विरोध किया था.

उन्होंने कहा कि बाद में पिछली सरकार ने इस फैसले को रोक दिया था.

माझी ने कहा, “अब, राज्य में नई सरकार बनने के महज छह महीने के भीतर आदिवासी सलाहकार परिषद (TAC) की बैठक बुलाकर इस फैसले को वापस ले लिया गया. अब कोई भी आदिवासियों की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता.”

सीएम ने आरोप लगाया, “शायद पिछले मुख्यमंत्री (नवीन पटनायक) आदिवासियों के लिए विकास नहीं चाहते थे. उन्होंने नियमित रूप से टीएसी की बैठकें नहीं की थीं.”

आदिवासी मेला

5 जनवरी से शुरू हुआ आदिवासी मेला 16 जनवरी तक चलेगा. मेले में आदिवासी कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए कई स्टॉल हैं. साथ ही एक फूड कोर्ट भी है जहां पारंपरिक आदिवासी व्यंजन का लुत्फ उठा सकते हैं.

इस साल मेले में 20 से अधिक आदिवासी झोपड़ियां हैं और आदिवासी उत्पादों से भरे कम से कम 147 स्टॉल हैं.

इसके अलावा इस साल के आदिवासी मेले में बिरसा मुंडा के जीवन को प्रदर्शित करने वाला एक समर्पित मंडप भी होगा. और इसके बगल में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों को प्रदर्शित करने वाली एक गैलरी होगी.

साथ ही मेले में आने वाले लोगों को ओडिया संस्कृति, लोक कला और गीतों से रूबरू कराने के लिए हर शाम राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों द्वारा आदिवासी नृत्य और संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी.

इस साल आदिवासी मेला निर्धारित समय से कुछ सप्ताह पहले ही आयोजित किया गया है. क्योंकि 8 जनवरी को ओडिशा में प्रवासी भारतीय दिवस की शुरुआत होने वाली है, जिसमें दुनिया भर से बड़ी संख्या में आगंतुकों के राज्य में आने की उम्मीद है.

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