ओडिशा सरकार का कहना है कि वो पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 के प्रावधानों यानि पेसा को लागू करने के लिए तैयार है. मंगलवार को यह बात पंचायती राज मंत्री रबी नारायण नाइक ने राज्य विधानसभा को सूचित किया.
रबी नारायण ने यह बात सदन में पोट्टांगी विधायक और कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेता राम चंद्र कदम के एक सवाल का जवाब देते हुए विधानसभा को पेसा कानून के क्रियान्वयन की जानकारी दी.
मंत्री ने कहा कि मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली सरकार आदिवासियों के लाभ के लिए जल्द ही राज्य में पेसा अधिनियम लागू करेगी.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पेसा कानून के तहत सरपंचों को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार देगी.
वहीं पिछली सरकार पर कटाक्ष करते हुए रबी नारायण ने कहा कि बीजद शासन ने राज्य में कोविड-19 महामारी के दौरान सरपंचों को कलेक्टर की शक्ति दी थी. हालांकि, सरकार ने बाद में उनसे यह शक्ति वापस ले ली.
उन्होंने आगे कहा कि अब मोहन माझी सरकार जनता की सरकार है. इस सरकार में जनप्रतिनिधियों को शक्ति दी गई है. वर्तमान सरकार अब पेसा अधिनियम को लागू करेगी, जिससे अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों को लाभ होगा.
मंत्री ने कहा कि सरपंच पेसा कानून में निहित सभी 22 शक्तियों का प्रयोग करेंगे.
दरअसल, इन क्षेत्रों में आदिवासी स्वशासन को सक्षम बनाने के लिए देश में 24 दिसंबर 1996 को पेसा अधिनियम लागू किया गया था. इस अधिनियम ने पंचायतों के प्रावधानों को पांचवीं अनुसूची वाले नौ राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों तक विस्तारित किया.
इन राज्यों में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान शामिल थे.
5वीं अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्रों के लिए अधिनियम की मूल भावना यह है कि यह ग्राम सभा और पंचायतों को अधिकार सौंपने के बजाय उन्हें अधिकार और शक्ति प्रदान करता है.
यह कानून राज्य सरकार को निर्देश देता है कि वह ग्राम सभा और पंचायतों को स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए अधिकार और शक्ति प्रदान करे, विशेष रूप से मादक पदार्थों की बिक्री और उपभोग पर प्रतिबंध लागू करने, लघु वन उपज के स्वामित्व, भूमि के हस्तांतरण को रोकने और अवैध रूप से हस्तांतरित भूमि की बहाली, गांव के बाजारों के प्रबंधन, धन उधार पर नियंत्रण आदि के मामलों में…