जनजातीय कार्य मंत्रालय ने साल 2019-20 में देहरादून स्थित पतंजलि अनुसंधान संस्थान को 124.96 लाख रुपये दिए हैं. यह फंड सरकार ने सेंटर ऑफ़ एक्सिलेंस को दी जाने वाली वित्तीय सहायता के तहत दिए हैं.
इस योजना में सरकार ग़ैर सरकारी संस्थानों को आदिवासी मसलों पर शोध के लिए पैसा देती है. यह पैसा सीधा केन्द्र से इन संस्थानों को दिया जाता है. इसमें राज्य सरकारों को शामिल नहीं किया जाता है.
राज्य सभा में जनजातीय कार्य मंत्रालय की तरफ़ से एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी गई है. इस जवाब में यह भी पता चला है कि आदिवासी विषयों पर शोध के लिए दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को पिछले 3 साल में मंत्रालय ने कोई पैसा नहीं दिया है.
पिछले साल कुल 19 संस्थानों को जनजातीय मंत्रालय से आदिवासी विषयों पर शोध के लिए पैसा मिला है. इन संस्थानों में केरल के अमृता विश्व विद्यापीठम को 46.86 लाख रुपये दिए गए हैं. इसके अलावा ओडिशा स्थित कोट्स (COATS) को 20 लाख रुपये दिए गए हैं.
सरकार के जवाब में जिन संस्थानों और राशि की सूचि दी गई है, उनमें से देहरादून स्थित पतंजलि अनुसंधान संस्थान को ही सबसे अधिक राशि प्राप्त हुई है. पतंजली के बाद अमरकंटक स्थित इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय को सिर्फ़ 59 लाख रुपये ही दिए गए हैं.
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने संसद में इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि इस योजना के तहत निधियाँ यानि पैसा राज्य सरकारों को नहीं जाती हैं. इस योजना के तहत मंत्रालय जनजातीय मुद्दों पर शोध अध्ययन के अंतर को भरने के उद्देश्य से जनजातीय उत्सव, अनुसंधान सूचना और जन शिक्षा स्कीम के तहत सेंटर फ़ॉर एक्सिलेंस के संस्थानों को सहायता देता है.
यह सवाल राज्य सभा सांसद भास्कर राव नेक्कांति ने पूछा था. इस सवाल का लिखित जवाब मंत्रालय की तरफ़ से जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता ने दिया है.